मीठी चरी से सस्ता एथेनॉल बनाने का तरीका खोजा
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के वैज्ञानिकों ने मीठी चरी से एथेनॉल बनाने का तरीका खोज निकाला है। शीरे (मालोसिस) से बनने वाले एथेनॉल से यह दो-तिहाई सस्ता होगा। इससे देश में जरूरत भर का सस्ता...
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के वैज्ञानिकों ने मीठी चरी से एथेनॉल बनाने का तरीका खोज निकाला है। शीरे (मालोसिस) से बनने वाले एथेनॉल से यह दो-तिहाई सस्ता होगा। इससे देश में जरूरत भर का सस्ता एथेनॉल खुद तैयार किया जा सकेगा।
इस मीठी चरी की खेती पूरे देश में की जा सकती है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ जाएगी। एनएसआई के वैज्ञानिक लगातार एथेनॉल बनाने के विकल्प तलाश रहे थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक एक टन मीठी चरी से करीब 45 से 50 लीटर एथेनॉल तैयार होगा। जबकि एक टन गन्ने के शीरे से करीब 60 से 65 लीटर एथेनॉल बनता है। गन्ने के मुताबिक मीठी चरी की कीमत बहुत कम है। इसलिए यह एथेनॉल काफी सस्ता तैयार होगा।
पांच प्रजातियों पर चल रहा है शोध: एनएसआई के वैज्ञानिक वर्तमान में मीठी चरी की पांच प्रजाति पर रिसर्च कर रहे हैं। अब वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि किस प्रजाति से अधिक मात्रा में एथेनॉल बनाया जा सकता है।
शीरे से बन सकता है अधिक एथेनॉल
देश की विभिन्न चीनी मिलें, संस्थान मुख्य रूप से तीन तरीके से एथेनॉल बना रहे हैं। सबसे अधिक एथेनॉल शीरे (मोलासिस) से बन रहा है। अगर अधिक से अधिक उत्पादन हो तो शीरे से 175 से 200 करोड़ लीटर एथेनॉल बन सकती है। वहीं मक्का और न खाने योग्य चावल से भी एथेनॉल का निर्माण किया जाता है। हालांकि यह मात्रा कम है। बमुश्किल 15 से 20 करोड़ लीटर एथेनॉल बनता है।
हैदराबाद विकसित करेगा चरी की प्रजाति
मीठी चरी के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च हैदराबाद भी प्रयास कर रहा है। एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि हैदराबाद के वैज्ञानिक शोध कर मीठी चरी की कई प्रजातियां विकसित कर रहे हैं। ये प्रजाति मौसम के अनुसार होगी।