ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशवार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा, शाहीन बाग का हल शाहीन बाग में ही निकले, तो अच्छा होगा

वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा, शाहीन बाग का हल शाहीन बाग में ही निकले, तो अच्छा होगा

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकार गुरुवार (20 फरवरी) को दूसरे दौर की बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत के दौरान मीडिया की उपस्थिति नहीं होनी...

वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा, शाहीन बाग का हल शाहीन बाग में ही निकले, तो अच्छा होगा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 20 Feb 2020 07:26 PM
ऐप पर पढ़ें

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकार गुरुवार (20 फरवरी) को दूसरे दौर की बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत के दौरान मीडिया की उपस्थिति नहीं होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन मीडिया की मौजूदगी में बातचीत शुरू नहीं करना चाह रहे थे।

प्रदर्शनकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे अपनी बात मीडिया के सामने रखना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों को बाद में जाने को कहा गया। रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ''आपने बुलाया हम चले आए।"

इस दौरान वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा, "आज हमें सोच समझकर और मिलकर कुछ बातें करनी है। हमें आप सब से कल बहुत सारा प्यार मिला। आपने कल कई (CAA,NRC,NPR) मुद्दे उठाए थे और आपके जो मुद्दे थे, वो सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुके हैं। वो मामला सुनवाई में आएगा, लेकिन कोई तारीख़ अभी तय नहीं है।"

साधना रामचंद्रन ने कहा, "कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान नहीं है हर समस्या का समाधान है, और शाहीन बाग का हल शाहीन बाग में ही निकले, शाहीन बाग बरकरार रहते हुए निकले तो बहुत अच्छी बात रहेगी।"

हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनके प्रदर्शन के अधिकार को माना है। हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ''जब शाहीन बाग भारत में प्रदर्शन का उदाहरण बन गया है तो हमें ऐसे प्रदर्शन की मिसाल पेश करनी चाहिए जो किसी को परेशान नहीं करे। आप सभी इस बात को लेकर आश्वस्त रहें कि हम यहां आपके लिए लड़ने आये हैं। यह मत सोचिए कि जगह बदलने से आपकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।"

वरिष्ठ वकील ने कहा, ''हमने देखा है कि कई प्रधानमंत्री आए और चले गए। जो भी सत्ता में आता है और देश चलाता है, उनमें से कई बार कुछ सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं। आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा देश सुन रहा है और प्रधानमंत्री भी।" प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। रामचंद्रन ने कहा कि वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब देश का माहौल बदलेगा।

इस मौके पर एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर फिक्र जताते हुए कहा, ''मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपने बच्चों के लिए डरा हुआ हूं। मैडम मुझे बचाइए।" जब रामचंद्रन ने उनके डर के बारे में और पूछा तो उन्होंने कहा, ''मैं अकेला पिता हूं। मैं मर जाऊंगा, लेकिन मेरे बच्चों को यहां हक के साथ रहने देना चाहिए। मेरी बच्चियां स्कूल जाती हैं जहां उनसे कहा जा रहा है कि आपको देश से निकाला जाएगा।"

वार्ताकारों से बातचीत के दौरान भावुक और नाराज दिखीं शाहीन बाग में धरने पर बैठीं महिलाएं

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (17 फरवरी) को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क की नाकाबंदी से परेशानी हो रही है। न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखते हुए सुझाव दिया कि वे किसी अन्य जगह पर जा सकते हैं जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो। शीर्ष अदालत ने संजय हेगड़े को एक वार्ताकार के रूप में प्रदर्शनकारियों को एक वैकल्पिक स्थल पर चले जाने के लिए मनाने में रचनात्मक भूमिका निभाने को कहा था। अदालत ने कहा था कि वार्ताकार हबीबुल्लाह की सहायता ले सकते हैं।

पहले दिन प्रदर्शनाकरियों से क्या वार्ता हुई
वार्ताकारों अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के साथ पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला महिलाओं से बातचीत करने और गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शाहीन बाग पहुंचे। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर को खत्म किए जाने के बाद ही यहां से उठेंगे। रामचंद्नन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए।'' 

उन्होंने कहा, ''हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।'' महिलाओं द्वारा व्यक्त की गईं चिंताओं पर रामचंद्रन ने कहा कि ये सभी बिंदु उच्चतम न्यायालय के सामने रखे जाएंगे और इन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, ''मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं। जिस देश में आप जैसी बेटियां हों, उसे कोई खतरा नहीं हो सकता।'' उन्होंने कहा, ''आजादी लोगों के दिलों में बसती है।''

गौरतलब है कि 16 दिसंबर से जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया। दादी के नाम से चर्चित बुजुर्ग महिला बिल्किस ने कहा कि चाहे कोई गोली भी चला दे, वे वहां से एक इंच भी नहीं हटेंगे।

नाराज वृद्ध महिला ने कहा कि मुख्य तम्बू जहां पर पोडियम खड़ा किया गया है, उसने सड़क के केवल 100 से 150 मीटर हिस्से को ही घेर रखा है। उन्होंने कहा, ''हमने पूरे हिस्से को अवरुद्ध नहीं कर रखा है। दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर पूरी सड़क पर बंद कर दी है। आप पहले उसे क्यों नहीं हटाते? हमने कभी भी पुलिस या किसी अधिकारी से हमारे लिए सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने ही सड़क बंद कर रखी है और अब नाकेबंदी के लिए हमें दोषी ठहरा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें