जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण अनुरोध का ब्योरा देने से विदेश मंत्रालय का इनकार
विदेश मंत्रालय ने विवादों में रहे इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की मांग को लेकर मलेशिया से किए गए अनुरोध का ब्योरो साझा करने से इनकार कर दिया है। मंत्रालय ने इस सिलसिले में सूचना का अधिकार...
विदेश मंत्रालय ने विवादों में रहे इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की मांग को लेकर मलेशिया से किए गए अनुरोध का ब्योरो साझा करने से इनकार कर दिया है। मंत्रालय ने इस सिलसिले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के उन प्रावधानों का हवाला दिया है, जो दूसरे देशों की सरकारों से मिली गोपनीय सूचना के खुलासे को प्रतिबंधित करता है।
एक आरटीआई अर्जी के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रत्यर्पण के भारत द्वारा किए गए 160 अनुरोध विभिन्न देशों में लंबित है। भारत द्वारा किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध का ब्योरा और मलेशिया से मिले जवाब के बारे में मांगी गई सूचना नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह सूचना के अधिकार कानून, 2005 की धारा 8 (1) (ए) (एफ) और (एच) के तहत आता है।
गौरतलब है कि मलेशिया को भेजे गए पत्र या किए गए अनुरोध की प्रति और मलेशिया सरकार से मिले कोई जवाब की प्रति मुहैया कराने का विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया गया था। नाइक जुलाई 2016 में भारत से फरार हो गया था और वह आतंकवाद एवं धन शोधन (मनी लाउंड्रिंग) के आरोपों को लेकर भारत में वांछित है।
भारत ने जनवरी में किया अनुरोध
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जुलाई में बताया था कि भारत सरकार ने इस साल के जनवरी में मलेशिया से नाइक को निष्कासित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि भारत का अनुरोध अब भी विचार्थ है।
मलेशियाई का फिलहाल इनकार
मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से नाइक ने मुलाकात की थी। साथ ही स्पष्ट किया था उनकी सरकार नाइक को स्वदेश भेजने की भारत की मांग को आसानी से स्वीकार नहीं करेगी। महातिर ने यह भी कहा कि मलेशिया नाइक को वापस स्वदेश तब तक नहीं भेजेगा, जब तक कि वह उनके देश में समस्या नहीं पैदा करता। पिछली मलेशियाई सरकार ने नाइक को स्थायी निवासी का दर्जा दिया था।
अब तक की कार्रवाई
द्वेष फैलाने वाले भाषण देने और समुदायों के बीच नफरत को बढ़ावा देने के आरोप में पिछले साल नाइक के खिलाफ अदालत में एक आरोपपत्र दाखिल किया था। नाइक के मुंबई स्थित गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी घोषित कर दिया है।