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कानूनी कसौटी पर क्या खरा उतर पाएगा मराठा आरक्षण?

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने के फैसला किया है। लेकिन इसके साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट की निर्धारित 50 फीसदी सीमा को भी पार कर गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सरकार का...

कानूनी कसौटी पर क्या खरा उतर पाएगा मराठा आरक्षण?
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 30 Nov 2018 05:05 AM
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महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने के फैसला किया है। लेकिन इसके साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट की निर्धारित 50 फीसदी सीमा को भी पार कर गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सरकार का यह फैसला कानूनी समीक्षा में टिकेगा या नहीं, क्योंकि पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने भी ऐसी ही कोशिश की थी, जिसे अदालत ने रोक दिया था। यही हश्र कई और राज्यों की कोशिशों का भी हुआ है। 

गुजरात : पाटीदार समुदाय 
- 2015 से आरक्षण को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया। हार्दिक पटेल प्रमुख चेहरा बनकर उभरे 
- 12.3 फीसदी राज्य की आबादी में है हिस्सेदारी, गुजरात के सबसे संपन्न समुदायों में से एक 

अदालत में फंसा पेंच 
- 10 फीसदी कोटा राज्य सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को देने की घोषणा की 
- अगस्त 2016 में गुजरात हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगाई

हरियाणा : जाट समुदाय 
- 2008 : ऑल इंडिया जाट महासभा ने जिंद में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की 
 -2016 में जाट समुदाय ने अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए हिंसक प्रदर्शन किया
- 10 दिनों तक राज्य मशीनरी रही ठप, 30 लोगों की मौत और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान 
- 29 फीसदी हरियाणा की आबादी में जाट समुदाय की हिस्सेदारी, सबसे अधिक राजनीतिक रसूख

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सरकार की कोशिश और अदालती पेंच 
-  2012 : हरियाणा सरकार ने पांच अन्य जातियों के साथ समुदाय को 10 फीसदी विशेष श्रेणी में आरक्षण दिया
- 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जाट समुदाय के पक्ष में जारी अधिसूचना पर रोक लगाई 
- 29 मार्च 2016 : हरियाणा विधानसभा ने जाट समुदाय को आरक्षण के लिए विधेयक पारित किया 
- मई 2016 : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पारित कानून के अमल पर रोक लगाई 

आंध्र प्रदेश : कापू समुदाय
2016 को कापू समुदाय ने ओबीसी श्रेणी में आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया और ट्रेन में आग लगा दी। राज्य की आबादी में 17 फीसदी तक है हिस्सेदारी। 

सरकार की कोशिश 
दिसंबर 2017 : आंध्रप्रदेश विधानसभा ने समुदाय को पांच फीसदी आरक्षण देने का विधेयक पारित किया 
फरवरी 2018 : केंद्र सरकार ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी पार करने के मद्देनजर अस्वीकार किया 

राजस्थान 
गुर्जर समुदाय : 2007 से लेकर अब तक गुर्जर समुदाय राजस्थान में आरक्षण की मांग को लेकर कई बार हिंसक प्रदर्शन कर चुका है। आंदोलन में अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है। गुर्जर समुदाय ने कई बार आंदोलन के दौरान ट्रेनें रोकी और करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।

कानूनी पेंच 
2017 : विधानसभा ने चार अन्य समुदाय के साथ गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिया
9 नवंबर 2017 : राजस्थान हाईकोर्ट ने आरक्षण की सीमा 54 फीसदी होने के कारण रोक लगाई 
15 नवंबर 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की रोक को बरकरार रखा

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1992 का ऐतिहासिक फैसला 
सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा सहाय बनाम भारतीय संघ के मामले में फैसला कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। 

तमिलनाडु अपवाद 
राज्य में कुल 69 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। राज्य के इस कानून को सुप्रीम कोर्ट की कानूनी समीक्षा से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने 1994 में 76वां संविधान संशोधन कर इसे नौंवी अनुसूची में डाला। 

तेलंगाना ने नियम तोड़ने की कोशिश की  
तेलंगाना : 2017 में सरकार ने ओबीसी श्रेणी में मुस्लिम आरक्षण चार से 12 फीसदी और एसटी आरक्षण छह से 10 फीसदी करने का विधेयक पारित किया, इस प्रकार कुल आरक्षण 68 फीसदी हुआ। 

यहां भी आरक्षण की आग 
उत्तरप्रदेश : 2015 में निषाद समुदाय ने अनुसूचित जाति के अंतर्गत पांच फीसदी आरक्षण की मांग की। गोरखपुर सहित कई हिस्सों में हुई हिंसा। 
असम : राज्य की छह जातियां अहोम, कूच-राजबंग्शी, मोरान, मटक, छूतिया और आदिवासी अनुसूचित जाति और जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रही हैं। वर्तमान ये जातियां ओबीसी श्रेणी में आती हैं। 

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