जज्बे को सलाम! बम धमाके में गंवाए थे दोनों हाथ, ऐसा हौसला देख दुनिया हुई दीवानी
हर किसी की जिंदगी में अलग अलग तरह की चुनौतियां होती हैं लेकिन यह उस शख्स की शख्सियत पर निर्भर होता है कि अपनी जिंदगी को किस मोड़ तक पहुंचाता है। बम धमाके में जिंदा बची मल्विका आज लोगों के लिए मिसाल...
13 साल की उम्र में गंवाए थे दोनों हाथ

हर किसी की जिंदगी में अलग अलग तरह की चुनौतियां होती हैं लेकिन यह उस शख्स की शख्सियत पर निर्भर होता है कि अपनी जिंदगी को किस मोड़ तक पहुंचाता है। बम धमाके में जिंदा बची मल्विका आज लोगों के लिए मिसाल बन गई चुकी है। अब दुनिया इनसे मिलने और इन्हें सुनने की दीवानी है।
बचपन में मुंबई बम धमाकों में दोनों हाथ गंवाने वाली मल्विका अय्यर अपने हौसले और जज्बे के बूते पर दुनिया का ध्यान खींचा तो संयुक्त राष्ट्र संघ भी इससे अछूता नहीं रहा। एक साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने भी उन्हें लेक्चर देने के लिए बुला चुका है।
महज 13 साल की उम्र में जब मल्विका हादसे का शिकार हुई थी तब उसे 18 माह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। दोनों हाथ खोने के साथ ही उसकी टांग पर गंभीर चोंट आई थी। लेकिन किसी प्रकार से प्रोस्थेटिक हाथों के जरिए फिर से एक नई जिंदगी शुरू की। यक एक ऐसा वक्त था जब उसे 10वीं में होना चाहिए था लेकिन उन्होंने ह्यूमैन्स ऑफ बॉम्बे नाम के फेसबुक पेज पर बताया कि उनके पास और ज्यादा समय गंवाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। इस फेसबुक पेज पर वह लोगों को अपने जीवन की प्रेरक घटनाओं/कहानियों के बारे में बताती हैं।
सूचना के अनुसार, अय्यर ने खुद को यहीं पर ही नहीं रुकने दिया बल्कि पढ़ाई करने का ऐसा लक्ष्य बनाया कि उसे राज्य स्तरीय पहचान मिली। अय्यर ने बताया कि उसे हादसे के बाद अनुभव हुआ है ज्यादातर अपंगों को बेचारा बनने के लिए लोगों की घृणा का शिकार होना पड़ता है। हम जिंदा है यह भी किसी उत्सव से कम नहीं है। उन्होंने बताया बम ब्लास्ट की वर्षी के दिन 2012 को उन्होंने अपनी जिंदगी पर एक फेसबुक पोस्ट लिखी जो वायरल हो गई। लोगों को इतनी पसंद आई कि इसे जमकर शेयर किया।
कोहिनियों से उठाती हैं नमक

इसके बाद लगातार उनकी शोहरत और चाहने वालों की संख्या बढ़ती गई। अय्यर ने बताया कि 2016 में उन्हें न्यू यार्क में वर्ल्ड इमर्जिंग लीडर्स अवार्ड मिला जो किसी महिला को मिलने वाला यह पहला अवार्ड था। अवार्ड पाने के वक्त वह पीएचडी कर रही थीं। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ से उन्हें स्पीच देने के लिए बुलाया गया। फिर वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉरम की इंडिया इकोनॉमिक समिट में भी बुलाया गया।
अय्यर ने बताया कि वह प्रोस्थेटिक हाथ जरूर पहनती हैं लेकिन खाना बनाने नमक उठाने जैसे तमाम काम अपने कोहिनियों के सहारे ही करने की कोशिश करती हैं ताकि वह दुनिया को अपनी ताकत दिखा सकें।