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मलेरकोटला के नवाब ने किया था साहिबजादों को दीवार में चिनवाने का विरोध, तब से सिखों से हैं खास रिश्ते, अब पंजाब का नया जिला

पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल कस्बे मलेरकोटला को अब जिले की पहचान मिल गई है। सोमवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मलेरकोटला को औपचारिक तौर पर जिला घोषित करते हुए उद्घाटन किया। इस कस्बे को...

मलेरकोटला के नवाब ने किया था साहिबजादों को दीवार में चिनवाने का विरोध, तब से सिखों से हैं खास रिश्ते, अब पंजाब का नया जिला
हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीTue, 08 Jun 2021 10:00 AM
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पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल कस्बे मलेरकोटला को अब जिले की पहचान मिल गई है। सोमवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मलेरकोटला को औपचारिक तौर पर जिला घोषित करते हुए उद्घाटन किया। इस कस्बे को जिला बनाने का ऐलान सीएम ने 14 मई को ईद के मौके पर किया था। यहां तक कि इस जिले के ऐलान पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि यही कांग्रेस की विभाजनकारी नीति है। इस पर जवाब देते हुए कैप्टन अमरिंदर ने कहा था कि उन्हें मलेरकोटला में सिखों और मुस्लिमों की दोस्ती के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए वह सांप्रदायिक टिप्पणी कर रहे हैं। आइए जानते हैं, आखिर क्यों पंजाब और सिखों के लिए अहम है मलेरकोटला...

सिखों से क्यों खास है मलेरकोटला का नाता
मलेरकोटला और सिखों का रिश्ता गुरु गोविंद सिंह के दौर का है। उस दौरान मलेरकोटला का नवाब शेर मोहम्मद खान था, जो औरंगजेब का ही समर्थक था, जिसके खिलाफ गुरु गोविंद सिंह लड़ रहे थे। लेकिन उनके दो मासूम बच्चों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को ईंटो में चिनवाने का उसने विरोध किया था। सरहिंद के सूबेदार वजीर खान के सामने मलेरकोटला के नवाब में 'हा का नारा' दिया था, जिसका अर्थ न्याय की पुकार से है। इस घटना को नवाब की सहिष्णुता से जोड़कर देखा गया और तब से ही सिखों के दिल में मलेरकोटला के लिए अलग ही जगह रही है।

'हा दा नारा' की घटना के बाद कैसे थे सिखों संग मलेरकोटला के नवाबों के रिश्ते
इतिहास में यह दर्ज है कि 'हा का नारा' की घटना के बाद भी मलेरकोटला के नवाबों के मुगलों संग रिश्ते अच्छे थे। एक बार जब मुगल सल्तनत का पतन होना शुरू हुआ तो वे अफगान से आए अहमद शाह अब्दाली के साथ मिल गए थे। हालांकि पंजाब की तमाम रियासतों के संबंध उस दौर में अस्थायी रहे, अपने बचाव के लिए और लाभ के मुताबिक ही रहे। उदाहरण के तौर पर देखें तो मलेरकोटला के नवाब जमाल खान ने पटियाला के शासक के खिलाफ भी जंग लड़ी और अब्दाली से भी दोस्ती से पहले जंग की थी। यही नहीं उसके उत्तराधिकारी नवाब भीखम शाह ने अब्दाली की तरफ से सिखों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यह जंग 1762 में हुई थी, जिसे 'वड्डा घल्लूगारा' के नाम से जाना जाता है। इसमें हजारों सिख मारे गए थे। इसके बाद एक घटना 1872 की है, जब सिखों के नामधारी पंथ ने मलेरकोटला पर हमला किया था। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह हमला लूट के इरादे से किया गया था। वहीं कुछ लोगों का मत है कि एक नामधारी महिला के रेप की घटना से गुस्साए लोगों ने यह हमला किया था। 

कैसे अस्तित्व में आया था मलेरकोटला
इतिहास के पन्नों को खंगाला जाए तो पता चलता है कि मलेरकोटला की नींव 15 वीं सदी में एक सूफी संत शेख सदरुद्दीन सदर-ए-जहां ने रखी थी। उन्हें हैदर शेख के नाम से भी जाना जाता है। पहले यह इलाका बहुत ही मामूली-सा था, जिसे बेहलोल लोधी ने शेख को तोहफे में दिया था, जो लोधी की ही तरह अफगानी थे। ऐसा माना जाता है कि ये दोनों दूर के रिश्तेदार थे। आगे चलकर 17 वीं सदी में इसमें कुछ गांवों को जोड़ कर जागीर तैयार की गई, ये वो गांव थे जो शेख के वंशज बेयजिद ख़ान को मुगल शासक शाहजहां ने तोहफे में दिए थे। इसके बाद इसे एक किले या गढ़ी में तब्दील किया गया और मलेर के आगे ‘कोटला’ जोड़ा गया। बेयजिद खान ने औरंगजेब का समर्थन किया था, जब उसकी अपने भाई दारा शिकोह से लड़ाई छिड़ गई थी। इसके बाद से वो मुग़ल परिवार का खास हो गया था।

विभाजन के दौरान भी हिंसा की आग से दूर था मलेरकोटला
आधुनिक भारत के इतिहास की बात करें तो यह इलाका सांप्रदायिक हिंसा और तनाव से अकसर दूर ही रहा है। 1935 में हुई एक सांप्रदायिक घटना को अगर छोड़ दें, तो मलेरकोटला में हमेशा ही सौहार्द्रपूर्ण माहौल रहा है। जब 1947 में विभाजन के वक्त पूरा देश दंगों की आग में झुलस रहा था और पंजाब की कई रियासतों में कानून-व्यवस्था चकनाचूर हो चुकी थी और पटियाला, नाभा, जींद जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा था। उस दौरान भी मलेरकोटला में कोई घटना नहीं घटी थी।

कैसी होगी नए बने जिले मलेरकोटला की व्यवस्था
आईएएस अधिकारी अमृत कौर गिल इस नए जिले की पहली उपायुक्त और आईपीएस अधिकारी कंवरदीप कौर पहली वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक होंगी। यह जिला संगरूर को विभाजित कर बनाया गया है और यहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं। अमरिंदर सिंह ने 14 मई को ईद-उल-फित्र के मौके पर इसकी घोषणा की थी। उन्होंने नये जिले में 548 करोड़ रूपये की विकास परियोजनाओं की आधारशिला डिजिटल तरीके से रखी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मलेरकोटला के उद्घाटन के साथ इस क्षेत्र के लोगों की पुरानी मांग पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2005 में अपने पिछले कार्यकाल में मलेरकोटला को जिला बनाने का वादा किया था लेकिन यह किसी कारणवश नहीं हो सका। मलेरकोटला जिले में तीन उपखंड- मलेरकोटला, अहमदगढ़ और अमरगढ़ होंगे।

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