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150 साल पुरानी इस नायाब इमारत से अंजान होंगे आप, ब्रिटेन की महारानी से है ये कनेक्शन

ब्रिटेन की महारानी के ताज के आकार की डेढ़ सौ साल पुरानी मेहराबदार पत्थर से बनी अष्टकोणीय सफेद इमारत, जिसे आज महाकौशल कला वीथिका के नाम से जाना जाता है, कभी अपने स्वरूप और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध रही...

150 साल पुरानी इस नायाब इमारत से अंजान होंगे आप, ब्रिटेन की महारानी से है ये कनेक्शन
एजेंसी ,रायपुरSun, 08 Jul 2018 04:32 PM
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ब्रिटेन की महारानी के ताज के आकार की डेढ़ सौ साल पुरानी मेहराबदार पत्थर से बनी अष्टकोणीय सफेद इमारत, जिसे आज महाकौशल कला वीथिका के नाम से जाना जाता है, कभी अपने स्वरूप और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध रही होगी, लेकिन आज इसपर चढ़ी विवादों की काई ने इसे बदरंग कर दिया है और देखरेख के अभाव में इसके जल्द ही खंडहर में तब्दील होने का खतरा है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित यह भवन स्थापत्य कला का नायाब नमूना है। आठ कोण और उनपर लगे तीखे मेहराब, हर दो कोण के बीचोबीच लगी गोलाकार खिड़कियां और उनपर बना जालीदार डिजाइन कभी इसके बनाने वालों के लिए गर्व का विषय रहा होगा, लेकिन अब यह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

   राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्रताप पारख बताते हैं कि राजनांदगांव रियासत के महंत घासीदास के दान से वर्ष 1875 में इस भवन के निर्माण के बाद यहां पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ तथा आसपास के देशी राज्यों से प्राप्त ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक तथा जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाली सामग्री एकत्र की गई थी।

    पारख बताते हैं कि बाद में रायपुर में नए संग्रहालय भवन के निर्माण के बाद अष्टकोणीय भवन को खाली कर दिया गया। तब से यह भवन महाकौशल कला परिषद के पास है। इस भवन को संरक्षित इमारत घोषित करने के लिए वर्ष 1986 में प्रथम अधिसूचना भी जारी की गई थी लेकिन अभी तक इस भवन को संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में नहीं लिया है। 

   इस संबंध में महाकौशल कला परिषद के निदेशक प्रवीण शर्मा कहते हैं कि वर्ष 1965 में राज्य शासन ने ही कला परिषद को यह भवन दिया था। उस दौरान परिषद के संस्थापक उनके पिता कल्याण प्रसाद शर्मा मूलतः कलाकार थे और कला की साधना के लिए यह भवन उन्हें दिया गया था। उन्होंने कहा कि महाकौशल कला परिषद ने खंडहर के रूप में मिले इस भवन को संस्था के सदस्यों, नगर और राज्य के कलाकारों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों से मिली आर्थिक सहायता से फिर से बनवाया है।

   उनका दावा है कि यह संपूर्ण मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में एकमात्र अशासकीय कलावीथिका है, जो अपने स्तर पर कलाकारों के सहयोग से चल रही है। उन्होंने बताया कि इस कलावीथिका में राज्य ही नहीं बल्कि देश के प्रतिष्ठित चित्रकारों, मूर्तिकारों, कलाकारों से क्रय की गई रचनाएं संग्रहित है। इन कलाकारों में प्रसिध्द चित्रकार एमएफ हुसैन, जटाशंकर जोशी, कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण समेत अन्य शामिल हैं। उन्हें शिकायत है कि राज्य सरकार से इमारत और इसमें रखी कलाकृतियों के संरक्षण और रखरखाव के लिए कोई सहायता नहीं मिलती।

    राज्य के प्रसिद्ध इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र कहते हैं कि यह भवन यहां की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है और राज्य सरकार को इसके संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए। किसी विवाद को इस इमारत की दुर्दशा का कारण नहीं बनने देना चाहिए अन्यथा यह इमारत ही इतिहास की बात बन जाएगी।

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