LOKSABHA ELECTION 2019: दर्जनभर दलबदलू नेताओं को नहीं मिला मौका
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर दर्जनभर नेताओं ने दल, दिल व झंडा बदला, फिर भी कामयाबी नहीं मिली। कई दलबदलू नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि आगे भी इनमें से कई अपना...
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर दर्जनभर नेताओं ने दल, दिल व झंडा बदला, फिर भी कामयाबी नहीं मिली। कई दलबदलू नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि आगे भी इनमें से कई अपना भविष्य सुरक्षित रखने की गरज से दल बदल सकते हैं।
पूर्व सांसद नागमणि, पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री रमई राम, पूर्व सांसद लवली आनंद, व्यवसायी नरेन्द्र सिंह, हम छोड़कर जदयू में वापसी करने वाले वरिष्ठ मंत्री नरेन्द्र सिंह समेत कई ऐसे नेता हैं, जिनकी लोकसभा चुनाव 2019 में मैदान में उतरने की आस पूरी नहीं हो सकी।
वहीं शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद सरीखे नेता भी हैं, जिनकी उम्मीदवारी पर दल छोड़ने से भी कोई असर नहीं पड़ा। हालांकि, कीर्ति आजाद के हाथ से उनकी दरभंगा सीट प्राय: जा चुकी है, शायद वाल्मीकिनगर से उन्हें मौका मिले। उधर, अपने दल से बगावत कर सांसदी चलाने वाले अरुण कुमार और पप्पू यादव को भी महागठबंधन ने अपना सहारा नहीं दिया।
नीतीश कुमार का साथ छोड़कर शरद यादव की पार्टी लोजद में जाने वाले उदय नारायण चौधरी और रमई राम क्रमश: जमुई और हाजीपुर से लालू प्रसाद के सहारे मैदान में आने की चाह रखते थे, पर दोनों को ही निराशा मिली। जीतन राम मांझी का साथ छोड़कर जदयू में दोबारा आने वाले पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह को भी जदयू ने बांका सीट नहीं दिया।
रालोसपा छोड़कर आए पूर्व मंत्री नागमणि और भगवान सिंह कुशवाहा को भी जदयू की उम्मीदवारी लोकसभा के लिए नहीं मिली। नागमणि काराकाट और भगवान सिंह कुशवाहा आरा से चुनाव लड़ना चाहते थे। जदयू ने काराकाट से पूर्व सांसद महाबलि सिंह को उतारा, जबकि आरा सीट भाजपा के पास ही रह गई। पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा जदयू में जहानाबाद से चुनाव लड़ने की उम्मीदों के साथ आए, लेकिन दल ने वहां से पूर्व एमएलसी चंदेश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी को टिकट दे दिया।
व्यावसायी नरेन्द्र कुमार सिंह ने चुनाव पूर्व जदयू में प्रवेश किया और पाटलिपुत्र व जहानाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पाटलिपुत्र सीट भाजपा के खाते में ही रह गई। पूर्व सांसद लवली आंनद ने भी कांग्रेस में विलय किया था, ताकि शिवहर से चुनाव लड़ सकें, लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे की जो हालत है, उसमें शिवहर से लवली आंनद को टिकट मिलना पक्का नहीं दिख रहा।