इस बार लोकसभा-विधानभा चुनाव के दौरान 5000 करोड़ तक पहुंच सकता है खर्च
Loksabha Chunav 2019: बढ़ता चुनाव खर्च आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। देश में 10 करोड़ 45 लाख रुपये खर्च कर पहला आम चुनाव सम्पन्न कराने वाले निर्वाचन आयोग को 2014 के...
Loksabha Chunav 2019: बढ़ता चुनाव खर्च आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। देश में 10 करोड़ 45 लाख रुपये खर्च कर पहला आम चुनाव सम्पन्न कराने वाले निर्वाचन आयोग को 2014 के लोकसभा चुनाव में रिकार्ड तीन हजार 870 करोड़ से रुपये से अधिक खर्च करना पड़ा। चुनाव खर्च का यह कीर्तिमान भी सत्रहवीं लोकसभा के लिए चल रहे आम चुनाव में टूटने जा रहा है। आयोग का अनुमान है कि यह ग्राफ इस बार 5000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। पिछले दो चुनावों में ही 2755 करोड़ रुपये खर्च बढ़ गया था।.
अगर ऐसा हुआ तो यह विश्व के अलग-अलग देशों में हुए चुनाव खर्चों में अमेरिका को छोड़ सबसे अधिक है। दुनिया में सबसे अधिक खर्च अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में होता है। आंकड़े के अनुसार 2012 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सात अरब अमेरिकी डालर खर्च हुए थे। भारत में 1951-52 में जब पहला आम चुनाव हुआ था, तब उस समय 10 करोड़ 45 लाख रुपये खर्च हुए थे। तब प्रति मतदाता खर्च मात्र 60 पैसे आया था। हालांकि इसके बाद 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में खर्च करीब-करीब आधा हो गया और मात्र पांच करोड़ 90 लाख रुपये में पूरी चुनावी प्रक्रिया निपट गई। इस चुनाव के बाद जैसे-जैसे एक के बाद एक चुनाव आते गए चुनावी खर्चे को पंख लगते चले गए।
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चुनाव आयोग के आकड़े देखें तो पाएंगे कि 1971 तक चुनावी खर्चे की वृद्धि दर बहुत धीमी थी लेकिन देश में लगे आपातकाल के बाद चुनावी खर्चों को मानो पंख लग गया और वह दोगुनी-तीनगुनी की दर से बढ़ने लगी। 1989 के चुनाव से चुनावी खर्चे ने जो रफ्तार पकड़ी वह रुकने का नाम नहीं ले रही। सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में प्रति मतदाता 55 से 60 रुपये तक पहुंचाने के आसार है। खर्चे में इस वृद्धि के पीछे हालांकि मतदाताओं की संख्या में भी हुई वृद्धि और मतदान के लिए सुविधाओं में की गई वृद्धि को माना जा रहा है। बावजूद इसके बढ़ते चुनाव खर्च से देश के खजाने पर पड़ने वाला बोझ अर्थव्यवस्था को ही नुकसान पहुंचाएगा। .
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लोकसभा के साथ चार विधानसभा का भी चुनाव
इस लोकसभा चुनाव के साथ देश में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। ये राज्य हैं आन्ध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओड़िसा...। इन राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए होने वाले अतिरिक्त व्यवस्था के कारण में भी खच्रों में वृद्धि होने जा रही है। विधानसभा चुनाव पर होने वाला खर्च भी लोकसभा चुनाव के खर्चे में जुड़ेगा। इसके कारण भी इस लोकसभा चुनाव के खर्चका बोझ अन्य चुनावों की तुलना में बढ़ा हुआ दिखाईदेगा।.
90 करोड़ मतदाता चुनेंगे सरकार
वर्तमान 2019 के आम चुनाव में करीब 90 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से 46.8 करोड़ पुरुष हैं और 43.2 करोड़ महिला मतदाता हैं। 38 हजार 325 थर्ड जेडर मतदाता हैं। जो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। निर्वाचन आयोग मानवाधिकार आयोग से लेकर तमाम न्यायाधिकरणों व सर्वोच्च अदालत की गाइड लाइन के अनुसार मतदेय स्थलों पर मतदाताओं के लिए सुविधाएं मुहैय्या कराने को बाध्य है। इससे भी खर्चों में वृद्धि हुई है। देश के अलग-अलग भागों में कानून-व्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी आयोग को सुरक्षा पर खर्च का बजट बढ़ाना पड़ा है।
चुनाव दर चुनाव बढ़ता जा रहा खर्च
चुनाव वर्ष | कुल व्यय (रुपये में) | मतदाताओं की संख्या |
1951/52 | 10,45,00,000 | 17, 32,12,348 |
1957 | 5,90,00,000 | 19, 36,52,179 |
1962 | 7,32,00,000 | 21, 63,61,569 |
1967 | 10,79,67,000 | 25,02,07,401 |
1971 | 11,60,87,450 | 27,41,89,132 |
1977 | 23,03,68,000 | 32,11,74,327 |
1980 | 54,77,39,000 | 35,62,05,329 |
1984/85 | 81,51,34,000 | 40,03,75,333 |
1989 | 1,54,22,00,000 | 49,89,06,129 |
1991/92 | 3,59,10,24,679 | 5,11,533,598 |
1996 | 5,97,34,41,000 | 59,25,72,288 |
1998 | 6,66,22,16,000 | 60,58,80,192 |
1999 | 9,47,68,69,000 | 61,95,36,847 |
2004 | 10,16,08,69,000 | 67,14,87,930 |
2009 | 11,14,38,45,000 | 71,69,85,101 |
2014 | 38,70,34,56,024 | 83,40,82,814 |