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जलियावाला बाग स्मारक ट्रस्ट संशोधन विधेयक पारित, जानें कांग्रेस इस बिल के क्यों थी खिलाफ

लोकसभा ने जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2018 कांग्रेस के वॉकआउट के बीच आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसका...

जलियावाला बाग स्मारक ट्रस्ट संशोधन विधेयक पारित, जानें कांग्रेस इस बिल के क्यों थी खिलाफ
नई दिल्ली एजेंसीWed, 13 Feb 2019 05:08 PM
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लोकसभा ने जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2018 कांग्रेस के वॉकआउट के बीच आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसका मकसद स्मारक की प्रबंधन व्यवस्था में सुधार लाना है। इसमें किए प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार नामित ट्रस्टी को बिना कारण बताए उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा सकती है। संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इसका प्रमुख अब कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष नहीं बन सकेगा। 

1- जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में व्यवस्था की गई थी कि इसका प्रमुख कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष रहेगा, लेकिन इस व्यवस्था को संशोधन विधेयक के माध्यम से खत्म किया गया है। उन्होंने कहा कि जलियावाला बाग की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने 24 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की है। इससे वहां  लाइट एंड साउंड शो को बेहतर बनाने के साथ ही कई अन्य कार्य किये जाएंगे।

2- इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह विधेयक सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्टी से हटाने के लिए लाया गया है। कांग्रेस सदस्यों का आरोप था कि भारतीय जनता पार्टी नकारात्मक राजनीति कर रही है और इस तरह के मुद्दों पर राजनीति कर रही है।

3- डॉ महेश शर्मा ने कहा कि सरकार जलियांवाला बाग की घटना के सौ वर्ष पूरा होने की दुखद याद में इस साल 13 अप्रैल को समारोह मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले की व्यवस्था में ट्रस्टी पांच साल के लिए चुना जाता था और उसे बीच में हटाया नहीं जा सकता था लेकिन संशोधित अधिनियम में प्रावधान किए गए हैं कि ट्रस्टी को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटाया जा सकता है। 

4- इससे पहले कांग्रेस शशि थरूर ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जलियांवाग को राजनीतिक विभाजक नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता प्रतीक होना चाहिए। इसके बहाने शहीदों का स्मरण कर उनका सम्मान किया जाना चाहिए और इतिहास को दोबारा लिखने का प्रयास नहीं होना चाहिए।

5- तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयक का विरोध करते हुये सरकार से 'विभाजनकारी विधेयक' नहीं लाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसकी बजाय हमें अपनी दलगत पहचान को पीछे छोड़ते हुये शहीदों की स्मृति में सिर झुकाकर उन्हें नमन करना चाहिये। हमें यह याद रखना चाहिये कि जलियांवाला बाग की मिट्टी में उस दिन गिरा खून हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी का था। 

6- रॉय ने कहा कि अमृतसर की इस घटना ने अंग्रेजों और भारतीयों के बीच अंतिम दीवार खड़ी करने का काम किया। भगत सिंह और उधम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी इसी की उपज थे। 

7- बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने प्रधानमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष को स्मारक का न्यासी बनाने संबंधी विधेयक के प्रावधान का स्वागत किया और कहा कि पहले स्मारक सिर्फ एक पाटीर् को सौंप दिया गया था। हालांकि, सरकार को “बिना कोई कारण बताये कार्यकाल पूरा होने से पहले ही नामित न्यासियों को हटाने का अधिकार” प्रदान किये जाने पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा कि इस गलत है और इस प्रावधान को हटाया जाना चाहिये। 

8- भर्तृहरि महताब ने कहा कि यह स्मारक अब भी बुरी हालत में है। वहां मौजूद संग्रहालय का प्रबंधन सही ढँग से नहीं किया गया है तथा चित्रों के लिखे गये विवरण भी धूंधले पड़ गये हैं। 

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