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नारी शक्ति: डॉ सुशीला नायर का पूरा जीवन जन स्वास्थ्य को समर्पित था

पेशे से डॉक्टर और महात्मा गांधी व कस्तूरबा गांधी की निकट सहयोगी डॉक्टर सुशीला नायर चार बार सांसद रहीं। केंद्र सरकार में वह 1962 से 1967 के बीच स्वास्थ्य मंत्री रहीं। उन्होंने जब राजनीति पारी शुरू की...

नारी शक्ति: डॉ सुशीला नायर का पूरा जीवन जन स्वास्थ्य को समर्पित था
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 15 Mar 2019 01:07 PM
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पेशे से डॉक्टर और महात्मा गांधी व कस्तूरबा गांधी की निकट सहयोगी डॉक्टर सुशीला नायर चार बार सांसद रहीं। केंद्र सरकार में वह 1962 से 1967 के बीच स्वास्थ्य मंत्री रहीं। उन्होंने जब राजनीति पारी शुरू की तो उनका लक्ष्य देश में जन स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर बनाने को समर्पित रहा। वर्धा, झांसी समेत देश में कई पिछले इलाकों में अस्पतालों की स्थापना उनके नेतृत्व में हुई। फरीदाबाद में उन्होंने ट्यूबरक्लोसिस सेनेटोरियम की स्थापना करवाई। उन्होंने डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र में जाने को प्रेरित किया।


पहले दिल्ली की सियासत में : 1952 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव जीता। वह मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं पर वह दिल्ली की पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं। दिल्ली विधानसभा की अध्यक्ष भी बनीं।

सेवाग्राम में बापू के साथ : बापू के निजी सचिव प्यारेलाल नायर की छोटी बहन सुशीला ने एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद 1939 में वे अपने भाई से मिलने सेवाग्राम पहुंची, तब वहां हैजा फैला था। वहां उन्होंने मनोयोग से काम किया। वह बापू की निजी चिकित्सक भी रहीं। 

डॉक्टर सुशीला नायर का सफरनामा-

  • 26 दिसंबर, 1914 को जन्म कुंजाह ( अब पाकिस्तान) में 
  • 1942 से 1944 तक वे बापू और कस्तूरबा के साथ पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबंद रहीं
  • 1950 में उनकी पुस्तक कारावास की कहानी के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।

  • 1952 से 1956 तक दिल्ली विधानसभा की सदस्य रहीं।
  • 1957, 1962,1967 में झांसी से कांग्रेस के टिकट पर जीतीं
  • 1977 में जनता पार्टी से जीतीं 
  • 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद अमेरिका जाकर पढ़ाई की 
  • 2001 में 3 जनवरी को निधन 
  • 26 दिसंबर, 1914 को जन्म कुंजाह ( अब पाकिस्तान) में 
  • 1942 से 1944 तक वे बापू और कस्तूरबा के साथ पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबंद रहीं
  • 1950 में उनकी पुस्तक कारावास की कहानी के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।
  • 1952 से 1956 तक दिल्ली विधानसभा की सदस्य रहीं।
  • 1957, 1962,1967 में झांसी से कांग्रेस के टिकट पर जीतीं
  • 1977 में जनता पार्टी से जीतीं 
  • 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद अमेरिका जाकर पढ़ाई की 
  • 2001 में 3 जनवरी को निधन 
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