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लोकसभा चुनाव 2019: मतों का विभाजन रोकने पर गठबंधन का जोर

उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP) को कड़ी चुनौती दे रहा बसपा-सपा-रालोद गठबंधन कई सीटों पर कांग्रेस (Congress) के मजबूत प्रत्याशियों की वजह से मतों का विभाजन रोकने की रणनीति पर पूरा जोर लगा रहा है। यह ऐसी...

लोकसभा चुनाव 2019: मतों का विभाजन रोकने पर गठबंधन का जोर
पंकज कुमार पाण्डेय,नई दिल्लीTue, 16 Apr 2019 08:43 AM
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उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP) को कड़ी चुनौती दे रहा बसपा-सपा-रालोद गठबंधन कई सीटों पर कांग्रेस (Congress) के मजबूत प्रत्याशियों की वजह से मतों का विभाजन रोकने की रणनीति पर पूरा जोर लगा रहा है। यह ऐसी सीटें हैं जिनपर कांग्रेस का उम्मीदवार मैदान में न होता या दोस्ताना संघर्ष की कोई सूरत तैयार ki जाती तो भाजपा को ज्यादा बड़ी चुनौती पेश की जा सकती थी।

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जानकारों का कहना है कि अपने कोर मतदाताओं तक एकजुटता का संदेश पहुंचाने का बसपा-सपा का साझा प्रयास जितना सफल होगा उतनी ही उम्मीदवार की जीत की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। कांग्रेस ने भदोही में बसपा उम्मीदवार रंगनाथ मिश्र के खिलाफ भाजपा छोड़कर आए बाहुबली रमाकांत यादव को मैदान में उतारा है। हालांकि गठबंधन इसे अपनी मजबूत सीट में मानकर चल रहा है। फिर भी यादव के मैदान में आने के बाद गठबंधन नेता पूरी तरह से सजग व सतर्क है। इस सीट पर छठें चरण में चुनाव है। यहां सपा-बसपा अपनी साझा रैली पर विचार कर रहे हैं। भाजपा ने यहां से रमेश बिंद को मैदान में उतारा है। इस सीट पर छठे चरण में चुनाव होना है।  

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चंदौली में दिलचस्प मुकाबला
सातवें चरण में चुनाव के लिए चंदौली सीट पर कांग्रेस ने एक समय मायावती के करीबी रहे पृर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को मैदान में उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। यहां भी त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद जताई जा रही है। इस सीट पर कुशवाहा मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं।

ऊहापोह की स्थिति
पहले चरण में भी कांग्रेस ने सहारनपुर और बिजनौर में क्षेत्रीय समीकरण में फिट बैठने वाले मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। अन्य चरणों में भी कांग्रेस के उम्मीदवारों की मजबूत मौजूदगी को लेकर गठबंधन में ऊहापोह बनी हुई है। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवारों के लिए अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है। वह चुनिंदा सीटों पर जीत के समीकरण तलाश रही है। साथ में भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर अपनी पैठ जमाने की कोशिश भी पार्टी की रणनीति में साफ नजर आ रही है।

संभावना नहीं
फिलहाल गठबंधन से जुड़े नेताओं को लग रहा है कि जमीन पर गठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग और भाजपा को हराने की क्षमता को लोगों ने स्वीकारा है। इसलिए भाजपा विरोधी मत बंटने की संभावना नहीं है। अब बाजी किसके हाथ लगेगी यह परिणाम बताएगा।

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