इजरायली पीएम नेतन्याहू ने मोदी को बताया 'क्रांतिकारी नेता', 9 समझौतों पर मुहर, VIDEO
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने समकक्षीय पीएम नरेन्द्र मोदी को एक क्रांतिकारी नेता करार दिया है। उन्होंने सोमवार को आयोजित संयुक्त साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मोदी एक...
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने समकक्षीय पीएम नरेन्द्र मोदी को एक क्रांतिकारी नेता करार दिया है। उन्होंने सोमवार को आयोजित संयुक्त साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मोदी एक रिवोल्यूशनरी लीडर है जिन्होंने भारत में क्रांति ला दी है। नेतन्याहू ने आगे कहा कि मोदी ने इजरायल दौरा अभूतपूर्व था क्योंकि वह वहां पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
भारत-इजरायल में 9 समझौतों पर हुआ करार
भारत और इजरायल के बीच साइबर सुरक्षा, साइंस-टेक्नोलॉजी, फिल्म, गैस, पैट्रोलियम, होम्योपथी और ऑल्टरनेटिव मेडिसिन समेत कुल 9 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। करार के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा कि हम साइबर सुरक्षा, फिल्म, ऑयल जैसे क्षेत्रों में भी इजरायल के साथ मिलकर काम करेंगे। दोनों देशों के लोगों को करीब लाने के लिए इजरायल में एक इंडियन कल्चरल सेंटर जल्द खुलेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस साल के हमारे पहले महत्वपूर्ण अतिथि हैं। इजरायल और भारत दोनों ही देशों कभी अपना इतिहास नहीं भूले। मोदी ने कहा कि मेरे लिए यह भी बहुत खुशी की बात है कि मैं पीएम नेतन्याहू और उनकी पत्नी को अपने गृह राज्य गुजरात के दौरे पर लेकर जाने वाला हूं।
पीएम मोदी की तारीफ
राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत और विदेश राज्य मंत्री भी मौजूद रहे। गार्ड ऑफ ऑनर के बाद बेंजामिन ने पीएम मोदी की तारीफ की। इस दौरान उन्होंने कहा कि शांति और खुशहाली के लिए दोनों देशों की साझेदारी अहम है। नेतन्याहू ने कहा, 'पीएम मोदी के इजरायल के ऐतिहासिक दौरे से दोस्ती का ये सिलसिला शुरू हुआ, जिसने जबरदस्त उत्साह पैदा किया। मेरी यात्रा के साथ ये जारी रहेगा। ये यात्रा मेरी पत्नी और मेरे साथ इजरायलवासियों के लिए काफी अहम है।'
यरूशलम पर वोट से फर्क नहीं
बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत-इजरायल संबंधों को 'स्वर्ग में बनी जोड़ी' जैसा करार देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र में यरूशलम मुद्दे पर भारत द्वारा इजरायल के खिलाफ वोट किए जाने से उनके देश को 'निराशा' हुई लेकिन इससे दोनों देशों के संबंधों पर फर्क नहीं पड़ेगा। नेतन्याहू ने कहा, 'हां, स्वाभाविक तौर पर हम निराश हुए, लेकिन यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि हमारे रिश्ते कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहे हैं।' इससे पहले नेतन्याहू ने दौरे के पहले दिन दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी। साथ ही एयरपोर्ट उतरने के बाद वो सबसे पहले तीन मूर्ति चौक गए थे और हाइफा युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी। इस चौक का नाम बदलकर अब तीन मूर्ति हाइफा चौक किया गया है।
आपसी समझ बढ़ेगी
पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि नेतन्याहू का दौरा भारत और इजरायल दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और यादगार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस गर्मजोशी से नेतन्याहू का स्वागत किया है ये दोनों देशों की बढ़ती समझ का संकेत है। पीएम मोदी को भी इजरायल यात्रा के दौरान इसी तरह का गर्मजोशी भरा स्वागत मिला था।
पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि नेतन्याहू की यात्रा ऐसे समय मे हो रही है जब दुनिया में कई तरह के घटनाक्रम हुए हैं। इजरायल की राजधानी के रूप में यरुशलम को मान्यता देने के अमेरिकी प्रस्ताव का भारत ने विरोध किया है। शशांक ने कहा कि इजरायल जानता है कि भारत के रिश्ते फलस्तीन के अलावा मध्य एशिया व अरब देशों के साथ भी अच्छे हैं। उसने भारत की रणनीतिक जरूरतों और विचारों का सम्मान करते हुए आपसी रिश्तों की मजबूती पर जोर दिया है। ये समझ मौजूदा यात्रा से और मजबूत होगी।
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आपसी रिश्तों को स्वतंत्र रूप से देखता है भारत
भारत इजरायल के साथ रिश्तों को स्वतंत्र रूप से देखता है लेकिन अरब देशों में रहने वाले करीब 60 लाख भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही रणनीतिक भागीदारी को आगे बढ़ाया जा सकता है।
रक्षा सहयोग बढ़ेगा
पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि रक्षा व सैन्य छेत्र में भारत व इजरायल के सहयोग नेतन्याहू की यात्रा से नई ऊंचाइयों को छुएगा। इजरायल भारत को कई महत्वपूर्ण तकनीकी हस्तांतरण को तैयार है। उन्होंने कहा जब जब भारत को रक्षा क्षेत्र में सहयोग की जरूरत हुई है इजरायल ने कदम आगे बढ़ाकर सहयोग किया है। इजरायल भारत को रक्षा क्षेत्र में नए उपकरण देने और नई तकनीकी साझा करने को तैयार होगा। वह भारत के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट से भी जुड़ने को तैयार दिखता है।
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आतंकवाद पर कड़ा रुख
शशांक के मुताबिक दोनों देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। इसलिए आतंकवाद पर इनका कड़ा रुख और आतंकरोधी सहयोग बढ़ाने का मसौदा वार्ता की मेज पर जरूर होगा। खासतौर पर आईएस और खुरासान की चुनौती के लिहाज से भी दोनो देशों के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान जरूरी है।
चीन के मुकाबले सहयोग बढ़ाने पर जोर
पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि चीन का हमारे मुकाबले दोगुना तीन गुना ज्यादा सहयोग इजरायल के साथ विभिन्न छेत्रों में है। भारत का ध्यान इस लिहाज से भी संतुलन साधने पर होगा।
अरब देशों से खटास नहीं
कूटनीतिक जानकार मानते हैं कि इजरायल से संबंधों की मजबूती से अरब देशों से खटास नहीं आएगी। क्योंकि भारत का अरब देशों के साथ स्वतंत्र तौर पर बेहतर संबंध हैं।
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