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विधानसभा 2018: चुनावों में राफेल मुद्दे का असर नहीं लेकिन सरकार चौकन्नी

सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त दिख रही कि विधानसभा चुनावों में राफेल मुद्दा नहीं बन रहा है। आम चुनाव दूर हैं। लेकिन सरकार को उम्मीद है कि आम चुनावों में भी यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाएगा। इसके बावजूद...

विधानसभा 2018: चुनावों में राफेल मुद्दे का असर नहीं लेकिन सरकार चौकन्नी
नई दिल्ली | मदन जैड़ाWed, 31 Oct 2018 12:43 PM
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सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त दिख रही कि विधानसभा चुनावों में राफेल मुद्दा नहीं बन रहा है। आम चुनाव दूर हैं। लेकिन सरकार को उम्मीद है कि आम चुनावों में भी यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाएगा। इसके बावजूद सरकार सतर्क है। सूत्रों का कहना है कि यदि यह मुद्दा तूल पकड़ता है, तो सरकार के पास इससे निपटने की आपात रणनीति भी बनी हुई है।

सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा राफेल के प्रभाव को लेकर विभिन्न स्तरों पर जो फीडबैक जुटाया गया है, उसके अनुसार आम लोगों में इसका असर नहीं है। खासकर छोटे शहरों, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के बीच यह मुद्दा चर्चा में नही आ पाया है। ज्यादातर लोग राफेल और इससे जुड़े किसी प्रकार के घोटाले से वाकिफ नहीं हैं। जबकि शहरी क्षेत्रों में लोग इस मुद्दे को जान तो रहे हैं, लेकिन इसमें भ्रष्टाचार होने की बात नहीं मानते हैं। इस स्थिति को सरकार और भाजपा अपने हक में मान रही है।

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स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे
राज्यों के चुनावों में आमतौर पर स्थानीय मुद्दे ही हावी रहते हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। कांग्रेस की तरफ से राफेल मुद्दे को उठाया जा रहा है। लेकिन राज्यों से ऐसी खबरें नहीं हैं कि यह कहीं प्रभावी हो रहा हो। 

आम चुनाव अभी दूर
सरकार को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा नहीं बनेगा। लेकिन इस बात को लेकर वह पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है। इसकी दो वजह हैं। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं। दूसरे, अभी आम चुनाव में समय है और विपक्ष को इस मुद्दे को लोगों के बीच पहुंचाने का समय मिल सकता है। इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह आम चुनाव में मुद्दा बनेगा। खबर है कि सरकार इसका आकलन कर रही है। 

मंत्री, सांसद जनता को बताएंगे
सूत्रों के अनुसार सरकार आने वाले दिनों में इसकी रणनीति तैयार करेगी कि किस प्रकार राफेल के दुष्प्रचार के बारे में केंद्रीय मंत्री, सांसद जनता को बताएं। सांसदों को इस मुद्दे पर लोगों को बताने के दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं कि उन्हें कैसे विपक्ष के आरोपों को खारिज करना है। 

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अगस्ता वेस्टलैंड तुरूप का पत्ता 
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चुनावों से पूर्व अगूस्ता वेस्टलैंड सौदे के तथाकथित दलाल क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाया जा सकता है। वह अभी यूएई में है और भारतीय एजेंसियों की पहुंच के दायरे में है। सरकार इसे तुरूप के पत्ते की तरह इस्तेमाल कर सकती है। 

दलों के रुख पर नजर
इस मुद्दे को कांग्रेस ने प्रमुखता से उठाया है। लेकिन अभी तक उसे अन्य सहयोगी दलों का ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया है। एक-दो दल ही गाहे-बगाहे कांग्रेस के साथ खड़े दिखे हैं। वामदल और तृणमूल ने स्पष्ट तौर पर तो इस मुद्दे को नहीं उठाया है लेकिन एकाध मौके पर वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ खड़े दिखे हैं। इसलिए इस बात पर भी नजर है कि क्या कांग्रेस के सहयोगी दल इस मुद्दे को साझे मुद्दे के रूप में उठा पाते हैं या नहीं। 

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