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Lal Bahadur Shastri 53rd death anniversary: लाल बहादुर शास्त्री की 53वीं पुण्यतिथि आज, पढ़ें उनका जीवन परिचय

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shashtri) की आज (11 जनवरी) को 53वीं पुण्यतिथि है। सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश...

Lal Bahadur Shastri 53rd death anniversary: लाल बहादुर शास्त्री की 53वीं पुण्यतिथि आज, पढ़ें उनका जीवन परिचय
Madanनई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तानFri, 11 Jan 2019 12:40 PM
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भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shashtri) की आज (11 जनवरी) को 53वीं पुण्यतिथि है। सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को मुंशी लाल बहादुर शास्त्री के रूप में हुआ था। वह अपने घर में सबसे छोटे थे तो उन्हें प्यार से नन्हें बुलाया जाता था। उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था।

मुश्किल परिस्थितियों हासिल की शिक्षा

बचपन में ही पिता की मौत होने के कारण नन्हें अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए। यहीं पर ही उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। उन्होंने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। कहा जाता है कि वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे। क्योंकि जब बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे। लाल बहादुर शास्त्री जब काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तो उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई। इसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे।

शास्त्री जी का विवाह 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ। जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए। एक बेटे का नाम अनिल शास्त्री है जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। देश के अन्य नेताओं की भांति शास्त्री जी में भी देश को आजाद कराने की ललक थी लिहाजा वह 1920 में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। उन्होंने 1921 के गांधी से असहयोग आंदोलन से लेकर कर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और पुलिसिया कार्रवाई का शिकार बने।

दिया 'जय जवान जय किसान' का नारा

लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें उन्होंने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया। 11 जनवरी 1966 को शास्त्री की मौत ताशकंद समझौत के दौरान रहस्यमय तरीके से हो गई।

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