ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशलद्दाख में चीन से टकराव लंबा खिंचने के आसार, सेना अभी से अपनी तैयारियों में जुटी

लद्दाख में चीन से टकराव लंबा खिंचने के आसार, सेना अभी से अपनी तैयारियों में जुटी

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ कायम गतिरोध के बीच सेना लंबी तैयारी में जुट गई है। गतिरोध के लंबा खिंचने के आसार हैं, इसलिए सैनिकों के लिए सर्दियों तक वहां रुकने के इंतजाम किए जा रहे...

लद्दाख में चीन से टकराव लंबा खिंचने के आसार, सेना अभी से अपनी तैयारियों में जुटी
मदन जैड़ा,नई दिल्लीMon, 06 Jul 2020 02:03 AM
ऐप पर पढ़ें

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ कायम गतिरोध के बीच सेना लंबी तैयारी में जुट गई है। गतिरोध के लंबा खिंचने के आसार हैं, इसलिए सैनिकों के लिए सर्दियों तक वहां रुकने के इंतजाम किए जा रहे हैं। इसके लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जिस प्रकार चीन ने अड़ियल रुख अपनाया हुआ है, उसके चलते माना जा रहा है कि सर्दियों से पहले यह गतिरोध खत्म होने वाला नहीं है। यदि सर्दी शुरू होने के बाद भी चीनी सेना पीछे नहीं हटती है, तो फिर टकराव और लंबा खिंच सकता है। ऐसे में सेना ने अभी से अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद करना शुरू कर दिया है।

सेना के सूत्रों ने कहा कि सेना को वहां कब तक रहना पड़ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि चीनी सेना पीछे कब हटती है। लद्दाख क्षेत्र में अभी सेना की करीब चार बटालियनें मौजूद हैं जो किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। यह संख्या करीब 32 हजार होती है। आमतौर पर इस क्षेत्र में एक बटालियन से ज्यादा मौजूद नहीं रहती है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर आईटीबीपी के जवान भी शामिल हैं। दो हजार अतिरिक्त जवान आईटीबीपी ने हाल में वहां भेजे हैं। वायुसेना एवं नौसेना की भी अतिरिक्त मौजूदगी वहां पर है।

'PM का लद्दाख दौरा दिखाता है कि चीनी आकामकता के खिलाफ भारत मुस्तैद है'

रक्षा सूत्रों के अनुसार सर्दियों के मद्देनजर सबसे बड़ी जरूरत जवानों के लिए खास तरह के कपड़ों, यूनिफार्म, बूट एवं अन्य उपकरणों की जरूरत होती है, जिसमें वह शून्य डिग्री से भी नीचे के तापमान में मोर्चे पर सजग रह सकें। चूंकि तैनाती अधिक है, इसलिए इसके लिए अतिरिक्त खरीद की जरूरत पड़ रही है। इसलिए आवश्यक सामग्री की आपातकालीन खरीद की जा रही है। जो सामग्री पहले से उपल्बध है, उसे लद्दाख भेजा जा रहा है। बाकी सितंबर के अंत तक अगले छह महीनों के लिए तैयारी पूरी कर ली जाएगी।

लद्दाख का इलाका हालांकि सड़क एवं वायु संपर्क से जुड़ा है, लेकिन सर्दियों में बर्फबारी के चलते मार्ग बंद हो जाता है। हालांकि दौलतबेग ओल्डी एयरपट्टी में वायुसेना के मालवाहक विमान आसानी से उतर सकते हैं। यह विकल्प हमेशा उपलब्ध रहेगा, लेकिन अभी ज्यादा से ज्यादा संसाधन जुटाने के प्रयास हो रहे हैं। इसमें रसद आदि भी शामिल है, जिसे चंडीगढ़ से ट्रकों के जरिए भेजा जा रहा है। लद्दाख या श्रीनगर में वायुयान से भी जो सामग्री भेजी जाती है, वह चंडीगढ़ से ही जाती है, इसलिए चंडीगढ़ में भी सैन्य डिपो में सभी सामग्री को तैयार रखने को कहा गया है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें