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LAC पर बफर जोन में भारत के साथ चीनी सेना भी करेगी गश्त, सैन्य कमांडर लेवल की मीटिंग में हो सकता है फैसला

पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त पेट्रोलिंग के प्रस्ताव पर सहमत हो सकती हैं। संभावना है कि सैन्य कमांडर स्तर पर अगली बैठकों...

LAC पर बफर जोन में भारत के साथ चीनी सेना भी करेगी गश्त, सैन्य कमांडर लेवल की मीटिंग में हो सकता है फैसला
मदन जैड़ा,नई दिल्लीSat, 11 Jul 2020 02:45 AM
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पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त पेट्रोलिंग के प्रस्ताव पर सहमत हो सकती हैं। संभावना है कि सैन्य कमांडर स्तर पर अगली बैठकों में इस विषय पर चर्चा हो सकती है, जबकि चीनी सेना के पीछे हटने के बाद भारतीय सेना पेट्रोलिंग शुरू करने की तैयारी में है, लेकिन चीन चाहता है कि वह भी इन स्थानों पर अपनी पेट्रोलिंग करेगा।

गलवानी घाटी, हॉट स्प्रिंगस, गोगरा, डेप्सांग और फिंगर एरिया ये ऐसे स्थान हैं जहां भारतीय एवं चीनी सेनाओं के बीच टकराव है। इनमें से कई स्थानों पर एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) को लेकर भारत और चीन के दावे अलग-अलग हैं। फिंगर एरिया में भारत की पेट्रोलिंग फिंगर आठ तक होती रही है और वहां तक उसका दावा है, लेकिन चीन अपना दावा फिंगर-4 तक मानता है।

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सैन्य कमांडरों में इस मुद्दे पर हुई पिछली बैठकों में इस बात पर सहमति बनी हुई है कि विवाद वाले स्थानों पर एक बफर जोन बनाया जाए। इस जोन में किसी भी देश की सेना नहीं रहेगी और न ही वहां कोई निर्माण होगा। टकराव वाले हर स्थान पर बफर जोन अलग-अलग हो सकता है। इसकी रूपरेखा पिछली बैठकों में हुई थी जिसके अनुसार चीनी सेनाएं पीछे हट रही हैं और उसी अनुरूप भारतीय सेना भी पीछे हटेगी।

बैठकों में चीन की तरफ से यह बात भी बात आई है कि बफर जोन पर दोनों देशों की सेनाओं की पेट्रोलिंग की अनुमति होनी चाहिए। हालांकि भारत इसके लिए तैयार नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आगामी बैठक में इस मुद्दे पर फिर चर्चा हो सकती है।

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दरअसल, फिंगर एरिया क्षेत्र में दोनों देशों की पेट्रोलिंग होती रही है और कई बार इसके चलते टकराव भी हुआ है, लेकिन विवाद वाले बाकी क्षेत्रों में चीन की नियमित पेट्रोलिंग नहीं है, जबकि भारतीय सेना की पेट्रोलिंग लंबे समय से होती रही है। ऐसे में चीन के प्रस्ताव पर सहमति बनती है या नहीं, कहना मुश्किल है।

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