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बिजली विधेयक 2021 को लेकर किसानों और मोदी सरकार के बीच फिर से ठनेगी?

तीनों कृषि कानूनों को लेकर जोरदार विरोध के बाद मोदी सरकार ने कानूनों को वापस ले लिया है। लेकिन अब किसानों ने पीएम के सामने छह मांगे रखी हैं। इसमें से एक बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 की वापसी की मांग भी...

बिजली विधेयक 2021 को लेकर किसानों और मोदी सरकार के बीच फिर से ठनेगी?
हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 25 Nov 2021 05:10 PM

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तीनों कृषि कानूनों को लेकर जोरदार विरोध के बाद मोदी सरकार ने कानूनों को वापस ले लिया है। लेकिन अब किसानों ने पीएम के सामने छह मांगे रखी हैं। इसमें से एक बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 की वापसी की मांग भी शामिल है। किसान इस बिल की वापसी की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह सब्सिडी वाली बिजली को खत्म कर देगा। या फिर पहले बिजली बिल जमा करना होगा और फिर सब्सिडी का दावा करना होगा।

पिछले एक दशक में भारत में बिजली की कीमतों में काफी बदलाव आया है और किसानों को डर है कि निजीकरण से बिजली महंगी हो जाएगी और सब्सिडी के केस में मामला और बोझिल हो जाएगा। किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा है कि पूरा बिजली भर भरने में किसानों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। बेहतर ये रहेगा कि किसानों को सब्सिडी चार्ज का पेमेंट करने की इजाजत दी जानी चाहिए, जबकि बाद बाकी पेमेंट सरकार से वसूल की जानी चाहिए।

बता दें कि पिछले एक दशक में हरियाणा में बिजली की दरों में गिरावट देखी है तो उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमत बढ़ गई है। 2010 में 2, 5 या 10 हॉर्सपावर की कीमत हरियाणा में 25 पैसे प्रति किलोवाट-घंटे थी। यह 2020 में गिरकर 10 पैसे प्रति किलोवाट-घंटा हो गई। उत्तर प्रदेश में 2010 में 224 पैसे प्रति किलोवाट घंटा से बढ़कर 2020 में 656 पैसे प्रति किलोवाट घंटा हो गया है।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में दो करोड़ से अधिक लोगों ने कृषि कटेगरी में बिजली कनेक्शन लिया है। ऐसे में नए नियम का प्रभाव उन सभी किसानों पर पड़ेगा। 2019 तक महाराष्ट्र में सबसे अधिक कृषि उपभोक्ता (42.5 लाख) हैं। इसके बाद कर्नाटक में 29.7 लाख और मध्य प्रदेश 28.1 लाख कृषि उपभोक्ता हैं। पिछले दो दशकों में कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2000-01 में 84,729 गीगावाट घंटे से यह 2009-10 में बढ़कर 1.08 लाख गीगावाट हो गया और 2019-20 में यह 2.28 लाख गीगावाट तक पहुंच गया।

बता दें कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा सबसे अधिक है, कृषि में बिजली की खपत का हिस्सा भी भारत में सबसे अधिक है। कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 16.7 फीसद है जबकि कृषि में बिजली की खपत देश की कुल बिजली खपत का 17.7 फीसद है।

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