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जानिए, कहां के लोगों को नहीं आती नींद और कहां वाले बिस्तर पर जाते ही सो जाते 

दिल्ली और मुंबई में रहने वाले लोगों को नींद आने में थोड़ा समय लगता है। इसकी वजह है, वहां पर होने वाला शोर। हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार, बेंगलुरु में लोग बिस्तर पर जाने के कुछ देर के भीतर ही सो...

जानिए, कहां के लोगों को नहीं आती नींद और कहां वाले बिस्तर पर जाते ही सो जाते 
नई दिल्ली। एजेंसीSun, 29 Jul 2018 06:26 PM
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दिल्ली और मुंबई में रहने वाले लोगों को नींद आने में थोड़ा समय लगता है। इसकी वजह है, वहां पर होने वाला शोर। हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार, बेंगलुरु में लोग बिस्तर पर जाने के कुछ देर के भीतर ही सो जाते हैं। क्योंकि इसका कारण वहां पर शोर का स्तर कम होने को माना जा रहा है। वहीं दिल्ली और मुंबई का शोर लोगों को सोने नहीं देता। बेंगलुरु में लोग रात 10 से 11 बजे के बीच सोने चले जाते हैं, जबकि मुंबई में लोग अमूमन आधी रात के बाद ही सोते हैं। 
दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में कामकाजी पेशेवरों के बीच गद्दे बनाने वाली एक कंपनी की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण में नींद से जुड़े यह मजेदार तथ्य सामने आए। सर्वेक्षण के अनुसार कम वेतन पाने वालों को नींद कम आती है। नींद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ डा. हिमांशु गर्ग का कहना है कि लोग नींद को उतनी तवज्जो नहीं देते, जितनी देना चाहिए। अच्छी नींद किसी वरदान से कम नहीं है। शरीर की कार्यक्षमता, कार्यकुशलता, स्मृति और चुस्ती फुर्ती बनाए रखने में नींद का बड़ा योगदान है।

30 वर्ष से कम उम्र के लोग भरपूर नींद लेते हैं : जो लोग अच्छी नींद सोते हैं, उनमें दो तिहाई से ज्यादा लोगों का कहना था कि वह पूरे मन से काम करते हैं और उसके परिणाम भी बहुत अच्छे आते हैं। इसकी तुलना में कम सोने वाले लोग अपना कोई भी काम पूरे मन से नहीं कर पाते। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 30 वर्ष से कम उम्र के लोग भरपूर नींद लेते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ती जाती हैं।
 

अविवाहित और बाल बच्चों वाले दंपति की नींद बेहतर: सर्वे से यह तथ्य भी सामने आया कि अविवाहित और बाल बच्चों वाले दंपति की नींद नि:संतान दंपतियों से कहीं बेहतर होती है। यहां यह भी दिलचस्प है कि अपने बच्चों के साथ सोने वाले माता पिता को नींद आने में मुश्किल होती है। इसी तरह तीन साल से ज्यादा पुराने गद्दे हों तो नये गद्दों पर सोने वालों की तुलना में नींद आने में 20 प्रतिशत अधिक समस्या हो सकती है।

धूम्रपान न करने वालों को आती है बेहतर नींद : धूम्रपान करने वाले लोगों के मुकाबले ऐसा न करने वालों को बेहतर नींद आती है। यह भी उल्लेखनीय है कि सिगरेट की संख्या जितनी बढ़ती जाती है नींद की मात्रा उतनी कम होती जाती है। यही हाल मोटापे का है, जो लोग खुद को मोटा मानते हैं उनमें नींद से जुड़ी परेशानियां ढाई गुना तक ज्यादा होती हैं, बनिस्बत उन लोगों के, जो खुद को मोटा नहीं मानते। इसी तरह नियमित तौर पर कसरत करने वाले , जिम जाने वाले और पैदल चलने वाले लोगों को ऐसा न करने वालों के मुकाबले बेहतर नींद आती है।

कार्यालय के पास रहने वाले भी लेते हैं पूरी नींद : सर्वेक्षण में शामिल लोगों से पूछे गए प्रश्नों के आधार पर एक और बात सामने आई कि जो लोग अपने कार्यालय के नजदीक रहते हैं वह उन लोगों के मुकाबले आराम की नींद सोते हैं, जिन्हें कार्यालय पहुंचने के लिए एक घंटा या उससे ज्यादा समय लगता है।

दिल्ली के 71 प्रतिशत लोग बेडरूम में टेलीविजन लगाते : बेंगलुरु और मुंबई में रहने वाले 54 प्रतिशत लोग अपने बेडरूम में टेलीविजन लगाना पसंद करते हैं, जबकि दिल्ली में रहने वाले 71 प्रतिशत लोग अपने बेडरूम में टेलीविजन लगाते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग अपने मोबाइल फोन को अपने पास रखना पसंद करते हैं। बेंगलुरु में तो ऐसा करने वालों का प्रतिशत 97 प्रतिशत रहा।

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