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संघर्ष की दास्तां सुनाते हुए मंच पर रो पड़ीं एथलीट खुशबू, बोलीं- सब तसल्ली देते हैं, कोई कुछ नहीं करता

हिन्दुस्तान शिखर समागम के मंच पर अपने संघर्ष की दास्तां सुनाते हुए एथलीट खुशबू गुप्ता रो पड़ीं। उन्होंने कहा कि हम लोग आठ बहनें हैं। कभी-कभी पांच सौ रुपये का भी धंधा नहीं होता है। कोई साथ नहीं देते...

संघर्ष की दास्तां सुनाते हुए मंच पर रो पड़ीं एथलीट खुशबू, बोलीं- सब तसल्ली देते हैं, कोई कुछ नहीं करता
लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 22 Feb 2020 01:03 PM
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हिन्दुस्तान शिखर समागम के मंच पर अपने संघर्ष की दास्तां सुनाते हुए एथलीट खुशबू गुप्ता रो पड़ीं। उन्होंने कहा कि हम लोग आठ बहनें हैं। कभी-कभी पांच सौ रुपये का भी धंधा नहीं होता है। कोई साथ नहीं देते हैं। यह कहते ही वह रो पड़ीं। इसके बाद मंच से तीन लोगों ने आर्थिक मदद का ऐलान भी किया।

एथलेटिक्स प्लेयर खुशबू ने कहा कि मेरे पिता आज भी फुटपाथ पर जूते-चप्पल लगाते हैं। डीएम दुकान हटवा देते हैं। दुकानें बंद करा दी जाती हैं। अगले महीने हरियाणा में पुलिस मीट होने वाला है। मैं उस पर फोकस कर रही हूं। मुझे रियो ओलिंपिक में जाना है, उस पर भी फोकस कर रही हूं। घर की चिंता रहती है। इसलिए दोनों ओर मन लगा रहता है। 

 

'मेरे पास फॉर्म भरने के भी पैसे नहीं थे'

वहीं, सत्र का हिस्सा रहीं हॉकी प्लेयर मुमताज खान ने कहा कि मैं जूनियर इंडिया टीम में हूं। मेरे पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। मेरे मम्मी पापा और कोच आए हैं। मैंने हॉकी चुना। हॉकी से मैं इतने आगे बढ़ जाऊंगी, मुझे खुद विश्वास नहीं था। आज देश के लिए खेल रही हूं। शुरू में काफी दिक्कतें आईं। हॉकी में शुरू में मेरी कोई रूचि नहीं थी। मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे मैं फॉर्म भर सकूं, मेरी कोच ने फीस भरी। मैंने काफी टूर्नामेंट खेला। मेरी मैडम ने काफी सपोर्ट किया।
 

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