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वायनाड में तलाश और बचाव अभियान अंतिम चरण में, 206 लोग अब भी लापता

मुख्यमंत्री ने कहा कि 67 शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है और पंचायतें उनका अंतिम संस्कार करेंगी। विजयन ने बताया कि एक सुरक्षित क्षेत्र की पहचान की जाएगी और वहां एक टाउनशिप का निर्माण किया जाएगा।

वायनाड में तलाश और बचाव अभियान अंतिम चरण में, 206 लोग अब भी लापता
Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 3 Aug 2024 11:56 AM
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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को कहा कि आपदा प्रभावित वायनाड में तलाश और बचाव अभियान अपने अंतिम चरण में है, लेकिन 206 लोग अब भी लापता हैं। विजयन ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि चलियार नदी से बरामद शवों और मानव अंगों की पहचान करने में समस्या है। उन्होंने कहा, ''वायनाड जिले के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 215 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जिनमें 87 महिलाएं, 98 पुरुष और 30 बच्चे शामिल हैं।'' 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 67 शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है और पंचायतें उनका अंतिम संस्कार करेंगी। विजयन ने बताया कि एक सुरक्षित क्षेत्र की पहचान की जाएगी और वहां एक टाउनशिप का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री क्षेत्र में नष्ट हुए स्कूलों का दौरा करेंगे तथा शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा कि आपदा प्रभावित बच्चों की पढ़ाई जारी रहे।

मलबे में दबे लोगों को खोजने के लिए रडार की मदद ली जाएगी
केरल में भूस्खलन से तबाह हुए गांवों में मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने के लिए प्रभावित इलाकों में गहराई तक खोज करने में सक्षम रडार तैनात किए जाएंगे । एक रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। केरल सरकार ने प्रभावित इलाकों में उन्नत रडार उपकरणों को तैनात करने का अनुरोध किया है, जिसमें एक जेवर रडार और चार रीको रडार शामिल हैं। इन्हें उनके संचालकों के साथ भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमान से दिल्ली से लाया जाएगा।

केरल में भूस्खलन प्रभावित वायनाड के मुंडक्कई क्षेत्र और चलियार नदी के किनारे बसे प्रभावित गांवों में इस समय बड़े पैमाने पर तलाश एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्षेत्र से कई लोगों के शव बरामद किए गए हैं। सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपातकालीन कर्मियों की विशेषज्ञ टीमें बचाव अभियान में शामिल हैं। वह युद्धस्तर पर खोज अभियान संचालित कर रहे हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रडार तैनात किए जाने से बचाव कार्यों में तेजी आएगी और मलबे के नीचे फंसे व्यक्तियों का पता लगाने में मदद मिल सकती है। 

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