शव ही मिल जाता...वायनाड त्रासदी में खोए 26 रिश्तेदार, अब लगा रहा गुहार; तबाही में गंवा दिया सबकुछ
Kerala Wayanad News: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड और बारिश ने भारी तबाही मचाई है। यहां पर मरने वालों की संख्या 300 के ऊपर पहुंच चुकी है। वायनाड के तमाम लोगों ने घर और परिवार गंवा दिए हैं।
Kerala Wayanad News: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड और बारिश ने भारी तबाही मचाई है। यहां पर मरने वालों की संख्या 300 के ऊपर पहुंच चुकी है। वायनाड के तमाम लोगों ने अपने घर और परिवार गंवा दिए हैं। यहां से एक ऐसी दुखद कहानी सामने आई है जो दिल दहला देगी। यह दर्दभरी कहानी है उस शख्स को जिसने इस तबाही में अपना सबकुछ गंवा दिया। वायनाड के मुंडक्कई में रहने वाले 51 साल के शौकत को जैसे ही जानकारी हुई वह कतर से भागे-भागे यहां पहुंचे। मलबे के अंदर से लोगों के शव निकाले जाने के बीच शौकत बड़ी बेसब्री से अपने दो भाइयों और 24 अन्य रिश्तेदारों को तलाश रहे हैं। किसी के जिंदा होने की उम्मीद तो बची नहीं है। शौकत चाहते हैं कि अगर उनके शव ही मिल जाते तो संतोष कर लेते।
वायनाड में आई तबाही के चलते हर तरफ मलबा फैला हुआ है। शौकत कहते हैं मेरा सबकुछ खत्म हो गया। मेरे भाई, उनके परिवार सबकुछ चला गया। उन्होंने कहा कि अभी तक मात्र चार शव निकाले जा चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शौकत ने बताया कि उनकी पत्नी और बच्चे तो बच गए, क्योंकि पहली लैंडस्लाइड के बाद ही वह सब पहाड़ पर भाग गए। उन्होंने कहा कि मैंने खून-पसीने की कमाई से दो-मंजिला घर बनाया था। वह भी अब मलबे में तब्दील हो चुका है। मेरे पास रहने का कोई ठिकाना तक नहीं है। शौकत के भाई और अन्य परिजन एक ही इलाके में थोड़ी-थोड़ी दूर पर रहते थे।
शौकत को वायनाड से अपने गांव मुंडक्कई पहुंचने में तीन दिन लग गए। वजह, इरुवाझिनी नदी पर बना ब्रिज लैंडस्लाइड में बह गया था। इससे मुंडक्कई पहुंचना करीब-करीब मुश्किल हो गया था। बाद में यहां पर आर्मी और एनडीआरएफ टीम ने एक रोप ब्रिज बनाया, जिससे बचावकर्ताओं को भी सुविधा हुई। वहीं, आर्मी के जवानों ने बेली ब्रिज बनाया। शुक्रवार को शौकत इस ब्रिज को पार करने में पहुंचने में कामयाब हुए और अपने जन्मस्थान गए। तब तक रेस्क्यू में लगे लोग शवों की तलाश में जुट गए थे।
गौरतलब है कि केरल में भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में तलाश अभियान शनिवार को पांचवें दिन भी जारी है। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए 1,300 से अधिक बचावकर्मियों, भारी मशीनों और अत्याधुनिक उपकरणों को क्षेत्र में तैनात किया गया है। वायनाड में मंगलवार को तड़के भारी बारिश के बाद बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं में 300 से ज्याद लोगों की मौत हो गई।
तलाश एवं बचाव अभियान के संचालन में विशेषज्ञता रखने वाली निजी कंपनियां और स्वयंसेवक भी सेना, पुलिस और आपातकालीन एजेंसियों के नेतृत्व वाले अभियान में हिस्सा ले रहे हैं। भूस्खलन के कारण मुंडक्कई और चूरलमाला के आवासीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बड़े पत्थर और पेड़ गिरे हैं, जिससे मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने में मुश्किल हो रही है।