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नजर रखें, अस्पतालों में अचानक बढ़ सकते हैं कोरोना मरीज; केंद्र की राज्यों को एक और चिट्ठी

केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह घरों में आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखें कि कहीं उन्हें अस्पताल की जरूरत तो नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को लिखे...

नजर रखें, अस्पतालों में अचानक बढ़ सकते हैं कोरोना मरीज; केंद्र की राज्यों को एक और चिट्ठी
विशेष संवाददाता हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीTue, 11 Jan 2022 05:43 AM

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केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह घरों में आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखें कि कहीं उन्हें अस्पताल की जरूरत तो नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि अभी तक हालांकि 5-10 फीसदी संक्रमितों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है, लेकिन स्थिति परिवर्तनशील है और हालात बदल भी सकते हैं। इसलिए राज्य पूरी तैयारी रखें।

इस पत्र में भूषण ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 20-23 फीसदी कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही थी। उन्होंने लिखा है कि ऐसा जान पड़ता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में ओमीक्रोन के नए स्वरूप आने एवं डेल्टा के बने रहने के कारण कोरोना के मामले बढ़े हैं। ऐसे में कोविड प्रबंधन के वास्ते मानव संसाधन खासकर स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने लिखा कि सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को उपचाराधीन रोगियों की कुल संख्या, घरों में पृथकवास में रह रहे मरीजों की संख्या, अस्पतालों में उपचाररत रोगियों की संख्या, ऑक्सीजन बेड वाले मरीजों की संख्या, आईसीयू बेड, जीवनरक्षक प्रणाली की जरूरत आदि पर दैनिक रूप से नजर रखने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, इस निगरानी के आधार पर ही स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत एवं अस्पतालों/ उपचार केंद्रों में उनकी उपलब्धता की रोजाना आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए।

स्वास्थ्यकर्मियों की अलग-अलग टुकड़ियां बनाएं
विशाल स्वास्थ्य केंद्र, क्षेत्रीय अस्पताल, अस्थायी अस्पताल खोलने जैसे कदम उठाने को लेकर विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की तारीफ करते हुए भूषण ने कहा कि संसाधनों की अपनी सीमाएं हैं। इसलिए जहां भी संभव हो, स्वास्थ्यकर्मियों की अलग-अलग टुकड़ियां बनाकर उनको पालियों में रखना जरूरी है। मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड देखभाल से जुड़े निजी क्लीनिकों में विभिन्न श्रेणियां तय करने का सुझाव दिया।

एमबीबीएस छात्रों की मदद लें
भूषण ने राज्यों को कहा है कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा लगाए जाने वाला शुल्क तर्कसंगत हो और अत्यधिक शुल्क वसूलने के मामलों की निगरानी की जाए। भूषण ने कहा कि पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों, इंटर्न, जूनियर एवं सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों, बीएससी नर्सिग 3-4 वर्ष तथा एमएससी नर्सिंग के छात्र-छात्राओं की भी मदद राज्य आवश्यकतानुसार लें।

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