चुनाव से पहले बोम्मई की टेंशन बढ़ी; वोक्कालिगा समुदाय आरक्षण बढ़ाने की मांग पर अड़ा, तय की डेडलाइन
कर्नाटक में फिलहाल लिंगायत समुदाय के बाद वोक्कालिगा राज्य में दूसरे सबसे बड़ी कम्युनिटी है। इसके टॉप लीडर्स का दावा है कि राज्य की जनसंख्या में इनकी पांचवीं सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।
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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले वोक्कालिगा समुदाय के आरक्षण का मामला फिर से गरमा गया है। आदिचुनचनगिरि मठ के स्वामी निर्मलानंद के नेतृत्व में समुदाय के टॉप धार्मिक और राजनीतिक हस्तियों ने इसे लेकर डेडलाइन तय कर दी है। समुदाय के सदस्यों के लिए कोटा बढ़ाने पर राज्य की भाजपा सरकार को 23 जनवरी तक का समय दिया गया है।
लिंगायत समुदाय के बाद वोक्कालिगा राज्य में दूसरे सबसे बड़ी कम्युनिटी है। इसके टॉप लीडर्स का दावा है कि राज्य की जनसंख्या में इनकी पांचवीं सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। इनका कहना है कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन और सरकारी नौकरी में इन्हें जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी नहीं मिली है।
'फैसला नहीं हुआ तो लेंगे अगला ऐक्शन'
कर्नाटक में करीब 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के सीनियर नेता डीके शिवकुमार ओल्ड मैसूरु क्षेत्र के वोक्कालिगा विधायक हैं। इलेक्शन से ठीक पहले वह सत्तारूढ़ भाजपा के सामने इस मुद्दे को जोरशोर से खड़ा कर रहे हैं। वहीं, समुदाय के नेताओं ने भी साफ कर दिया है कि अगर डेडलाइन से पहले बोम्मई सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो हम अपने अगले ऐक्शन पर विचार करेंगे।
सरकार के इस फैसले के बाद तेज हुई मांग
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने इसी महीने अनुसूचित जातियों के लिए 17 फीसदी और अनुसूचित जनजातियों के लिए 7 फीसदी बढ़ा हुआ आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया था। हालांकि, नौकरशाहों ने कहा कि कार्यान्वयन के लिए जारी अधिसूचना पर कोई स्पष्टता नहीं है। बढ़े हुए आरक्षण को लागू करने के बाद राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 56 प्रतिशत हो जाएगा, जो कि इंदिरा साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की तय की गई 50 प्रतिशत सीमा से ऊपर है।
वोक्कालिगा के लिए कोटा 8% बढ़ाने की मांग
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद से ही वोक्कालिगा समुदाय ने अपनी मांग तेज कर दी। स्वामी निर्मलानंद ने वोक्कालिगा के लिए कोटा में 8% की वृद्धि की सार्वजनिक तौर पर मांग की। उन्होंने जोर देकर कहा कि फिलहाल आरक्षण राज्य में समुदाय की आबादी के हिजाब से नहीं है। उन्होंने कहा कि समुदाय कर्नाटक की आबादी का लगभग 16% है, लेकिन उन्हें केवल 4% कोटा मिल रहा है।