दांव: चुनाव से पहले कर्नाटक सरकार ने लिंगायत को दिया अलग धर्म का दर्जा
विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिश मंजूर कर ली है। राज्य सरकार ने लिंगायतों...
विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिश मंजूर कर ली है। राज्य सरकार ने लिंगायतों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर विचार के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस नागामोहन दास की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने लिंगायत समुदाय के लिए अलग धर्म के साथ अल्पसंख्यक दर्जे की सिफारिश की थी, जिसे कैबिनेट की तरफ से अब मंजूरी मिल गई। अब यह सिफारिश बीजेपी नीत केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजी जाएगी।
बता दें कि कर्नाटक में 18 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की है। इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है।
आगामी विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा को एक बार फिर से बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की यही वजह है कि लिंगायत समाज में उनका मजबूत जनाधार है। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देकर कांग्रेस ने येदियुरप्पा के जनाधार को कमजोर करने की बड़ी कोशिश की है।
माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी के येदियुरप्पा के जनाधार को तोड़ने के लिए ये कार्ड़ खेला है।
कैबिनेट के इस फैसले को प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता एस प्रकाश ने चुनावी रेवड़ी करार दिया है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव इस वर्ष अप्रैल-मई में हो सकते हैं।