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CM पद के लिए कांग्रेस में पहली बार नहीं मची है रार, कर्नाटक से पहले यहां भी हुआ है नाटक

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने जबर्दस्त जीत हासिल की है, लेकिन अभी तक सीएम फेस पर फैसला नहीं हो पाया है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच रेस जारी है। इसको लेकर दिल्ली में गहन मंथन चल रहा है।

CM पद के लिए कांग्रेस में पहली बार नहीं मची है रार, कर्नाटक से पहले यहां भी हुआ है नाटक
Deepakलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीTue, 16 May 2023 07:07 PM
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कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने जबर्दस्त जीत हासिल की है, लेकिन अभी तक सीएम फेस पर फैसला नहीं हो पाया है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच रेस जारी है और फिलहाल इसको लेकर दिल्ली में गहन मंथन चल रहा है। अगर देखा जाए तो यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस इस तरह की सिचुएशन में फंसी है। अलग-अलग प्रदेशों में कांग्रेस इस तरह के हालात से गुजर चुकी है। हिमाचल में प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा दिखी थी। विभिन्न नेताओं के मन में मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा समय-समय पर सिर उठाती रहती है और कांग्रेस मुखिया की मुश्किलें बढ़ती रहती हैं।

राजस्थान में पायलट की बगावत
राजस्थान में साल 2018 में जब कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया तो सभी को उम्मीद थी कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को सीएम पद की कुर्सी मिलेगी। लेकिन गांधी परिवार ने तब अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। तब से यह फैसला राजस्थान में कांग्रेस के जी का जंजाल बना हुआ है। इसके बाद से ही सचिन पायलट बगावत का झंडा उठाए घूम रहे हैं। बीते कुछ दिनों में तो गहलोत और पायलट के बीच रिश्ते इस कदर खराब हुए हैं कि दोनों सरेआम एक-दूसरे के लिए अशालीन शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। दोनों के बीच सुलह के लिए राहुल गांधी को भी बीच-बचाव करना पड़ा, लेकिन यह तात्कालिक ही साबित हुआ। आज स्थिति यह है कि राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा पर निकले हुए हैं।

पंजाब में सिद्धू-बनाम कैप्टन अमरिंदर
कुछ ऐसा ही हाल पंजाब में देखने को मिला था। 2022 के विधानसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के मुखिया थे। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने यहां पर दलित कार्ड चला और चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि कांग्रेस का यह दांव कामयाब नहीं हुआ और आम आदमी पार्टी ने यहां पर मैदान मार लिया। माना यही गया कि कांग्रेस के नेताओं की आपसी सिर-फुटौव्वल ने यहां पर पार्टी का बेड़ा गर्क कर दिया। नवजोत सिंह सिद्धू अपनी रौ में रहे और मंच से सरेआम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता को जाहिर करते रहे। वहीं, अमरिंदर सिंह ने भी पार्टी से अपनी राह अलग करना ही मुनासिब समझा।  

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का हाल
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के सामने कुछ ऐसे ही हालात रहे। 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया, लेकिन यहां पर गांधी परिवार के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ को सीएम बनाया गया। नतीजा यह हुआ कि सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बगावत कर गए और भाजपा ने चुनाव हारने के बाद यहां सरकार बना ली। इसी तरह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा दिए। उनका कहना था कि पार्टी ने तय किया था कि प्रदेश में ढाई-ढाई सीएम का फॉर्मूला चलेगा। इसके तहत बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद टीएस सिंह देव अपने लिए सीएम की कुर्सी मांग रहे थे।