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सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी देकर घिरे कपिल सिब्बल, AIBA ने बताया अवमाननापूर्ण

'अगर पसंद का फैसला नहीं दिया गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायिक प्रणाली विफल हो गई है। सिब्बल न्याय व्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं। सिब्बल की तरफ से आ रही टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।

सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी देकर घिरे कपिल सिब्बल, AIBA ने बताया अवमाननापूर्ण
Gauravलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 08 Aug 2022 03:18 PM

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समाजवादी पार्टी से राज्यसभा पहुंचे सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट पर विवादित टिप्पणी देकर खुद घिर गए हैं। उन्होंने कहा था कि को सुप्रीम कोर्ट से कोई 'उम्मीद' नजर नहीं आती है। उनके इस बयान पर ऑल इंडिया बार एसोसिएशन की प्रतिक्रिया सामने आई है। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने पूर्व केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल के उस बयान को 'अवमाननापूर्ण' करार दिया है।

ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने दी प्रतिक्रिया
दरअसल, ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कहा कि एक मजबूत न्याय प्रणाली भावनाओं से अलग होती है और सिर्फ कानून से प्रभावित होती है। कपिल सिब्बल वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। न्यायाधीशों और निर्णयों को सिर्फ इसलिए खारिज करना उनके लिए उचित नहीं है, क्योंकि अदालतें उनके या उनके सहयोगियों की दलीलों से सहमत नहीं होती हैं।

'न्यायिक प्रणाली को विफल कहना गलत'
उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी अवमाननापूर्ण है और कपिल सिब्बल की ओर से आ रही है जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। यह और भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर कपिल सिब्बल की पसंद का फैसला नहीं दिया गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायिक प्रणाली विफल हो गई है। सिब्बल न्याय व्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह वास्तव में संस्था में भरोसा खो चुके हैं तो वह अदालतों के सामने पेश नहीं होने के लिए स्वतंत्र हैं।

'मजबूत न्याय प्रणाली सिर्फ कानून से प्रभावित होती है'
एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने यह भी कहा कि यह एक चलन बन गया है कि जब किसी के खिलाफ मामला तय किया जाता है तो वह सोशल मीडिया पर जजों की निंदा करने लगता है कि जज पक्षपाती है या न्यायिक प्रणाली विफल हो गई है। जबकि ऐसा नहीं है एक मजबूत न्याय प्रणाली भावनाओं से अलग होती है और सिर्फ कानून से प्रभावित होती है।

क्या कहा था कपिल सिब्बल ने?
यह सब पूरा मामला तब सामने आया जब हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई 'उम्मीद' नजर नहीं आती है। उन्होंने गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट से लेकर प्रवर्तन निदेशालय के शक्तियों तक का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि 'संवेदनशील मामलों' को केवल चुनिंदा न्यायाधीशों के पास ही भेजा जाता है और आमतौर पर कानूनी बिरादरी को पहले ही फैसलों के बारे में जानकारी होती है।

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