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कमलेश तिवारी हत्याकांड: कातिलों को मोबाइल-रुपये देने वाले भी पुलिस के हत्थे चढ़े

हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के कातिलों को नेपाल से लेकर शाहजहांपुर तक रहने, खाने, ठहरने में मदद करने वाले मदरसा संचालक रईस और उसके साथी शादाब को एटीएस ने बरेली से गिरफ्तार कर लिया है। साथ...

 कमलेश तिवारी हत्याकांड: कातिलों को मोबाइल-रुपये देने वाले भी पुलिस के हत्थे चढ़े
लाइव हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 26 Oct 2019 03:55 AM
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हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के कातिलों को नेपाल से लेकर शाहजहांपुर तक रहने, खाने, ठहरने में मदद करने वाले मदरसा संचालक रईस और उसके साथी शादाब को एटीएस ने बरेली से गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही हत्यारों को नेपाल पहुंचाने वाले वकील नावेद को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। वह दो दिन से हिरासत में था। पुलिस लखनऊ में उनसे पूछताछ कर रही हैं।

अब तक आठ गिरफ्तार
तिवारी की हत्या के दूसरे दिन 19 अक्तूबर को ही यूपी पुलिस ने गुजरात एटीएस की मदद से सूरत में साजिश रचने वाले मो. मोहिसन, फैजान और रशीद पठान उर्फ राशिद को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद हत्यारों की मदद करने वाले आसिम अली को नागपुर से पकड़ा गया। फिर बरेली के मौलाना सैय्यद कैफी अली रिजवी को पकड़ा गया। मौलाना के पकड़े जाने के दूसरे दिन ही सूरत में दोनों आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन भी गिरफ्तार कर लिए गए। इसके बाद वकील नावेद को गुरुवार को पकड़ा गया और शुक्रवार को उसकी गिरफ्तारी दिखा दी गई।

आमना-सामना कराया तो कई नाम सामने आए
एटीएस सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को दो दिन की रिमाण्ड पर अशफाक और मोइनुद्दीन मुख्यालय लाए गए। यहां पर तीन बार में पूछताछ हुई और ऐसे ही अलग-अलग आमना-सामना कराया गया। पहले सूरत से पकड़े गए तीन आरोपियों से हत्यारों का सामना हुआ, फिर हत्यारों और वकील के बीच इसके बाद वकील और तीन साजिशकर्ताओं को एक दूसरे से रू-ब-रू कराया गया। करीब तीन घंटे तक दर्जनों सवाल-जवाब हुए। इस दौरान ही ट्रेन में मोबाइल रखने वाले का नाम कामरान बताया गया। बरेली में नया मोबाइल और 10 हजार रुपये देने वाले दो युवकों के नाम रईश और शेख के रूप में आए। इसी तरह नेपाल में दोनों आरोपियों की मदद करने वाले तनवीर की भूमिका को विस्तार से बताया। इसके बाद ही एटीएस ने इन चारों के अलावा एक दर्जन लोगों के बारे में बरेली पुलिस को सूचना दी।

नावेद नेपाल से पलिया लाया
सिमी के आका सादिक ने जब कातिलों को समर्पण कराने के लिए नावेद से कहा तो वह उन्हें नेपाल से पलिया लाया। पलिया से संपूर्णानगर रोड पर रिक्खीपुरवा गांव में रईस का मदरसा है। वहां से लेकर पलिया तक उसके कई साथी हैं और खासा दबदबा है। वह एक स्पेशल व्हाट्सएप ग्रुप भी चला रहा है। उसका पूरा ग्रुप एटीएस और एसटीएफ के रडार पर आ गया है। उसी ग्रुप के एक साथी शादाब को उसने बुलाया। इसके बाद कातिलों को एक नया मोबाइल नंबर और सिम दिया गया। इसके बाद उन्हें खर्चे के लिए दस हजार रुपये दिए। रईस ने कहा कि शाहजहांपुर में अपनी कौम वालों का पूरा अलग मोहल्ला है। उनमें से दो वकीलों और दो मीडियाकर्मियों के नंबर कातिलों को दिए। रात को खाना खिलाने के बाद अशफाक और मोईनुद्दीन को लेकर नावेद और कामरान शाहजहांपुर पहुंचे। यहां समर्पण की बात थी लेकिन पत्नी से बात होने के बाद उसका मन बदल गया और दोनों शाहजहांपुर से सुबह ट्रेन में बैठकर वह दिल्ली चले गए। दिल्ली के बाद गुजरात एटीएस के भेजे गए साथियों के जरिए वह समर्पण करने पहुंच गए। 

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