सिख दंगों पर बोले सीएम कमलनाथ-मेरे खिलाफ कोई FIR-चार्जशीट नहीं दाखिल, मामले के पीछे राजनीति
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 1984 सिख विरोधी दंगों पर कहा है कि उन्होंने 1991 में और उसके बाद कई बार शपथ लिया, किसी ने कुछ नहीं कहा। मेरे खिलाफ कोई केस, एफआईआर, चार्जशीट नहीं है। आज वे इस...
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 1984 सिख विरोधी दंगों पर कहा है कि उन्होंने 1991 में और उसके बाद कई बार शपथ लिया, किसी ने कुछ नहीं कहा। मेरे खिलाफ कोई केस, एफआईआर, चार्जशीट नहीं है। आज वे इस मामले को उठा रहे हैं। आप इसके पीछे की राजनीति समझ सकते हैं। उन्होंने सवाल किया क्या किसी प्रत्यक्षदर्शी ने कुछ कहा? बता दें कि सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सिख दंगों के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके बाद बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अप्रत्यक्ष तौर पर कमलनाथ पर निशाना साधा।
Kamal Nath on 1984 Anti-Sikh riots: I took oath in 1991 & several times after that, no one said anything. There is no case,FIR,or chargesheet against me. Today they are raking up this matter. You can understand politics behind this. Did eyewitness tell you(about his involvement)? pic.twitter.com/506LqcBD4I
— ANI (@ANI) December 17, 2018
अरूण जेटली ने सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सजा मिलने का स्वागत किया और कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री चुनने के लिए विपक्षी दल पर प्रहार किया। उन्होंने दावा किया कि सिख उन्हें समुदाय के खिलाफ हिंसा में ''दोषी मानते हैं।
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सोमवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले कमलनाथ ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में किसी भी तरह की भूमिका होने से हमेशा इंकार किया है। कांग्रेस का कहना है कि कानूनी प्रक्रिया चल रही है और मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
सज्जन कुमार दोषी करार
1984 के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दंगे ''मानवता के खिलाफ अपराध थे जिसे उन लोगों ने अंजाम दिया जिन्हें ''राजनीतिक संरक्षण हासिल था। वहीं कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार ताउम्र कैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम में अपील दायर करने की तैयारी में हैं।
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सज्जन कुमार के वकील अनिल शर्मा ने पीटीआई भाषा से कहा कि चूंकि उच्च न्यायालय का फैसला 200 से अधिक पेज का है, इसके अध्ययन की जरूरत है और इसके बाद, वह शीर्ष अदालत की शरण में जाएंगे। उच्च न्यायालय में कुमार का प्रतिनिधित्व करने वाले शर्मा ने कहा कि 73 साल के कांग्रेसी नेता को आत्मसमर्पण के लिए 31 दिसंबर 2018 तक का समय दिया गया है और इससे पहले दोषसिद्धि एवं सजा को चुनौती देने के प्रयास किये जाएंगे।