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हिंदी न्यूज़ देशविवादों के बीच हाई कोर्ट जज बनीं विक्टोरिया गौरी बोलीं- गरीबों को दिलाऊंगी अधिकार, जिम्मेदारी का आभास

विवादों के बीच हाई कोर्ट जज बनीं विक्टोरिया गौरी बोलीं- गरीबों को दिलाऊंगी अधिकार, जिम्मेदारी का आभास

जस्टिस गौरी ने कहा कि उन्होंने कहा कि मैं यह बात पूरी तरह से जानती हूं कि आज मुझे गरीबों की अनसुनी आवाजों पर ध्यान देने और हाशिए पर पड़े लोगों को मुक्त कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

विवादों के बीच हाई कोर्ट जज बनीं विक्टोरिया गौरी बोलीं- गरीबों को दिलाऊंगी अधिकार, जिम्मेदारी का आभास
Deepakदिव्या चंद्रबाबू,चेन्नईTue, 07 Feb 2023 05:40 PM

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एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास हाई कोर्ट के एडिशनल जज की शपथ ली। ठीक उसी वक्त सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ सुनवाई चल रही थी। यह सुनवाई इसाइयों और मुस्लिमों के खिलाफ उनके हेट स्पीच के आरोपों पर हो रही थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। शपथ ग्रहण के बाद अपने भाषण में जस्टिस गौरी ने कहा कि एक जज के रूप में उनकी जिम्मेदारी गरीबों और दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाने की रहेगी। 

कहा-मिली है बड़ी जिम्मेदारी
जस्टिस गौरी ने कहा कि उन्होंने कहा कि मैं यह बात पूरी तरह से जानती हूं कि आज मुझे गरीबों की अनसुनी आवाजों पर ध्यान देने और हाशिए पर पड़े लोगों को मुक्त कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जस्टिस गौरी ने आगे कहा कि भारत जैसे खूबसूरत देश की एकता और भाईचारे की भावना को हमेशा बढ़ावा देती रहेंगी। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के साथ मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व और वर्तमान चीफ जस्टिस और मदुरै बेंच की लीगल फैटर्निटी का भी शुक्रिया अदा किया। इस पद तक की अपनी यात्रा में साथ देने के लिए जस्टिस गौरी ने अपने पति और परिवार के अन्य लोगों का भी आभार जताया। इसके अलावा उन्होंने स्वामी विवेकानंद और अपने सदगुरु के तौर पर माता अमृतानंदमयी का भी जिक्र किया।

भाषण पर बजीं तालियां
कोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में कार्यवाहक चीफ जस्टिस टी राजा ने शपथ लेने वाले चार एडिशनल जजों में से सबसे पहले गौरी को शपथ दिलाई। शपथ के बाद गौरी के भाषण पर खूब तालियां बजीं। गौरी ने इस बात का जिक्र किया वह तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले एक सुदूर गांव से ताल्लुक रखती हैं और बेहद साधारण परिवार की पहली वकील हैं तो इसकी भी खूब तारीफ हुई। बता दें कि जिस वक्त जस्टिस गौरी शपथ ले रही थीं, उसी वक्त सत्ताधारी डीएमके की सहयोगी सीपीआई-एम मद्रास हाई कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही थी। बता दें कि कॉलेजियम द्वारा गौरी के नाम के रेकमंडेशन के बाद से ही भाजपा से उनके जुड़ाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाषण को लेकर विवाद होने लगे थे।