4 बजे के बाद बिना चाय पीए नहीं रह सकते जस्टिस चंद्रचूड़, सुनाया बॉम्बे हाई कोर्ट वाला किस्सा
केस की सुनवाई और बहसों के बीच घड़ी की सुई 4 पर जाती है और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की व्याकुलता बढ़ जाती है। वह तुरंत ही कहते हैं, ''क्या आपको 4 बजे चाय की जरूरत महसूस नहीं...

केस की सुनवाई और बहसों के बीच घड़ी की सुई 4 पर जाती है और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की व्याकुलता बढ़ जाती है। वह तुरंत ही कहते हैं, ''क्या आपको 4 बजे चाय की जरूरत महसूस नहीं होती?'' मंगलवार का दिन भी इससे अलग नहीं था। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और पराग पी त्रिपाठी के बीच एक कंपनी के टोल कलेक्शन को लेकर बहस चल रही थी और जस्टिस चंद्रचूड़ एक कप चाय की तलब जाग उठी।
उन्होंने वकीलों से कहा, ''मुझे नहीं पता आप 4 बजे एक कप चाय लिए बिना किस तरह (बहस) जारी रख सकते हैं। कम से कम मैं तो नहीं कर सकता। मुझे तो चाय लेनी पड़ेगी। यह मुझे दिन के बाकी समय के लिए ऊर्जा देता है।'' जस्टिस चंद्रचूड़ ने मुंबई के दिनों का एक किस्सा भी सुनाया जहां उन्होंने एक वकील के रूप में प्रैक्टिस की थी और फिर जज बने।
जज ने उस दौर को याद करते हुए कहा, ''बॉम्बे हाई कोर्ट में पहली मंजिल पर एक कोने में कोर्टरूम है, जिसके सामने स्टाफ कैंटीन है। वकील रहते हुए मैं वहां जाता और चाय पीता था। लेकिन समस्या तब खड़ी हुई जब मैं हाई कोर्ट में जज बन गया और कैंटीन से जुड़े कोर्टरूम में बैठता था। हर दिन सुबह 11 बजे से चाय उबलने लगती थी और मुझे कोर्ट रूम में इसकी सुगंध लगती थी। लेकिन मैं जज था और 2 बजे लंच ब्रेक से पहले नहीं उठ सकता था। और एक जज के रूप में मैं यूं ही कैंटीन में नहीं जा सकता था।''
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें शाम 4 बजे चाय के लिए एक ललक होती है, जोकि सर्वोच्च न्यायालय के लिए अपनी कार्यवाही को पूरा करने का समय भी है। मंगलवार को उनके साथ बेंच में मौजूद जस्टिस एमआर शाह से जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ''भाई, शाम को क्या आपको चाय की तलब नहीं होती।''
न्यायमूर्ति एमआर शाह ने चुटकी ली कि 'चाय' शब्द का मतलब उन वरिष्ठ वकीलों के लिए कुछ अलग हो सकता है जो उठने का समय हो जाने के बावजूद जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''लेकिन भाई, मैं गुजरात से आता हूं, जहां आपको केवल चाय मिलेगी कुछ और नहीं।''
