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‘सीकरी की असहमति का आलोक वर्मा को हटाने से संबंध नहीं’

न्यायमूर्ति एके सीकरी के करीबी सूत्रों ने कहा कि जस्टिस सीकरी के कॉमनवेल्थ में जाने के प्रस्ताव को ठुकराने का आलोक वर्मा को सीबीआई से हटाने के प्रकरण का कोई संबंध नहीं है।  सूत्रों ने कहा,...

‘सीकरी की असहमति का आलोक वर्मा को हटाने से संबंध नहीं’
भाषा , नई दिल्ली।Mon, 14 Jan 2019 02:52 AM
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न्यायमूर्ति एके सीकरी के करीबी सूत्रों ने कहा कि जस्टिस सीकरी के कॉमनवेल्थ में जाने के प्रस्ताव को ठुकराने का आलोक वर्मा को सीबीआई से हटाने के प्रकरण का कोई संबंध नहीं है। 

सूत्रों ने कहा, ‘आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला लेने वाली समिति में न्यायमूर्ति सीकरी की भागीदारी को सीएसएटी में उनके काम से जोड़ने को लेकर लग रहे आक्षेप गलत हैं। क्योंकि यह सहमति दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में ली गई थी। सीबीआई मामले में वह जनवरी 2019 में प्रधान न्यायाधीश की तरफ से नामित किए गए।’

दोनों प्रकरण को जोड़ते हुए ‘एक पूरी तरह से अन्यायपूर्ण विवाद’ खड़ा किया गया। सूत्रों ने कहा, ‘असल तथ्य यह है कि दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में सीएसएटी में पद के लिए न्यायमूर्ति की मौखिक स्वीकृति ली गई थी।’

सीएसएटी के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा, ‘यह कोई नियमित आधार वाली जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए कोई मासिक पारिश्रमिक भी नहीं है। इसमें पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता।’

कांग्रेस ने उठाए थे सवाल 

गौरतलब है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि सीएसएटी में सीकरी के नामांकन पर केंद्र को कई बातों का जवाब देना होगा।

जस्टिस सीकरी ने कॉमनवेल्थ सचिवालय नहीं जाएंगे

न्यायमूर्ति एके सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिए दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि जब न्यायाधीश ने रविवार शाम को लिखकर सहमति वापस ले ली।

सूत्रों ने कहा, केंद्र सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिए पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। तब उन्होंने इस पर अपनी सहमति दे दी थी। इस पद पर रहते हुए हर साल दो से तीन सुनवाई के लिए उन्हें लंदन जाना पड़ता। यह बिना मेहनताना वाला पद है। जस्टिस सीकरी कॉमनवेल्थ नहीं जाने की स्थित में अब भारत सरकार उनके बजाय किसी और को उस पद पर मनोनीत करेगी। 

 

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