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क्यों जरूरी है प्लेन में प्रेशर बटन, जानें पायलट से कहां हुई चूक 

भौतिक का सिद्धांत हैं कि ऊंचाई के साथ हवा का दबाव कम होता जाता है। वहीं इंसान एक निश्चित वायुदाब में ही सांस ले सकता है। इसलिए विमान के अंदर वायुदाब को नियंत्रित किया जाता है। इस प्रणाली में गलती की...

क्यों जरूरी है प्लेन में प्रेशर बटन, जानें पायलट से कहां हुई चूक 
नई दिल्ली | एजेंसियाThu, 20 Sep 2018 07:43 PM
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भौतिक का सिद्धांत हैं कि ऊंचाई के साथ हवा का दबाव कम होता जाता है। वहीं इंसान एक निश्चित वायुदाब में ही सांस ले सकता है। इसलिए विमान के अंदर वायुदाब को नियंत्रित किया जाता है। इस प्रणाली में गलती की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि इस गलती से यात्रियों की जान जा सकती है। तो जानते हैं पूरी प्रणाली को

क्या है केबिन प्रेशर नियंत्रण प्रणाली
विमान ऊंचाई पर उड़ता है, तो वायुदाब कम हो जाता है। चूंकी विमान का ढांचा इस अंतर को सहने में सक्षम होता है। लेकिन विमान के अंदर यात्रियों के लिए जमीन के बराबर ही वायुदाब रखना होता है। इसी दाब को बनाए जाने के क्रम को केबिन प्रेशर नियंत्रण प्रणाली कहा जाता है। 

कैसे नियंत्रित होता 
ऊंचाई पर हवा का दबाव कम होता है जबकि जमीन पर यह अधिक होता है। इसलिए विमान के भीतर इंजन की मदद से हवा पर दबाव बना उसे सामान्य एक एटीएम पर रखा जाता है। इस दबाव को विमान की ऊंचाई के आधार पर विशेष तौर पर बने वाल्व से नियंत्रित किया जाता है। 

हमें फ्लाइट में केबिन प्रेशर की आवश्यकता क्यों है?

इसका सरल और सीधा जवाब है, क्योंकि हमें ऑक्सीजन की जरूरत होती है। हम यही जानते हैं कि ज्यादा ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है। यह एक गलत धारणा है। सीएनएन के लिए लिखे लेख में एक पायलट ने इसका खुलासा करते हुए कहा है कि जितनी ऑक्सीजन की मात्रा समुद्र के स्तर पर होती है उतनी ही ऑक्सीजन ऊंचाई पर भी मौजूद होती है। लेकिन, ऊंचाई बढ़ने के साथ दबाव कम होता जाता है, जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है।  पायलट ने बताया है कि इस समस्या से पार पाने के लिए फ्लाइट में केबिन प्रेशर मेंटेन किया जाता है। जब फ्लाइट लैंड करती है, तो केबिन प्रेशर धीरे-धीरे कम किया जाता है। 


कहां हुई चूक
- अमेरिकी संस्थान स्मिथसोनियन के मुताबिक सामान्यत: विमान का वजन अधिक होने पर पायलट इंजन की दबाव बनाने वाली प्रणाली को कुछ समय के लिए बंद कर देता है। ताकि इंजन अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल विमान को उठाने में करे। 
- लेकिन एक निश्चित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पायलट के लिए इस ‘ब्लीड स्वीच’ को ऑन करना होता है। गलती की गुंजाइश नहीं हो, इसके लिए 10, 000 की फीट की ऊंचाई विमान के पहुंचते ही चेतावनी अलार्म बजता है। 
-  अगर अलार्म की अनदेखी कर पायलट विमान को 14,000 फीट की ऊंचाई पर ले जाता है। तो आपात स्थिति में सांस लेने के लिए लगे ऑक्सीजन मॉस्क स्वत: खुल जाते हैं। हालांकि, क्रू मेंबर इस ऊंचाई से पहले भी इसे खोल सकते हैं। 
- माना जा रहा है कि पायलट ने उड़ान भरने के दौरान ब्लीड बटन को बंद किया, लेकिन उसे दोबारा नहीं खोला। यहां तक कि उसने चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया। 

संतुलन बिगड़ने पर अनहोनी तय 
- यात्रियों के ‘हैपोक्सिया’ से पीड़ित होने का खतरा। इस अवस्था में शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है
- दबाव कम होने से रक्त धमनियों में मौजूद नाइट्रोजन गैस के बुलबुलों के रूप में निकलेंगे, जिससे मौत हो सकती 
- यात्रियों को जोड़ों में दर्द, नाक-कान से रक्तस्राव, सिर दर्द की शिकायत हो सकती, लकवा मारने का भी खतरा 

विमान पर 
- दरवाजों को सील करने की प्रणाली खराब हो सकती 
- अधिक समय यही स्थिति रही तो पूरे ढांचे को खतरा 

डीजीसीए के दिशानिर्देश 
- विमान के उड़ान भरने से पहले पायलट व्यक्तिगत तौर पर सारी प्रणाली की जांच करेगा
- संचार, आपात व्यवस्था, ईंधन, कंप्यूटर प्रणाली की जांच प्राथमिकता के आधार पर करेगा 
- यह भी पहले से ही तय होगा कि क्रू मेंबर का कौन सदस्य क्या और किस क्रम सूचना देगा 
- केबिन की सुरक्षा जांच पूरी करने के बाद पायलट आपात स्थिति छोड़ कोई घोषणा नहीं करेगा

जेट में यह घटना पहली नहीं 
- 7 जुलाई 2015 में कंपनी की दिल्ली-लेह उड़ान में भी लेह के पास केबिन प्रेशर अनियंत्रित हो गया था 
- 5 जनवरी 2016 मुंबई -बैंकॉक उड़ान 9डब्ल्यू-70 का केबिन प्रेशर यांगून (म्यांमार) के पास गिर गया था
जेट क्रू मेंबर बटन दबाना भूले, यात्रियों की नाक-कान से निकलने लगा खून

सांस लेने की इंसानी क्षमता 

- 1 एटीएम वायुमंडलीय दाब में इंसान सामान्यत: सांस लेता है 
- 0.47 एटीएम वायमंडलीय दाब न्यूनतम चाहिए सांस लेने के लिए  (समुद्र सतह से करीब 5950 मीटर ऊंचाई के बराबर)
- 0.35 एटीएम वायुमंडलीय दाब जीवित रहना मुश्किल होता है (समुद्र सतह से 8000 मीटर की ऊंचाई के बराबर)

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