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JDU ने प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को पार्टी से किया बाहर, पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप

जनता दल (यूनाइटेड) ने मुख्यमंत्री नितिश कुमार के खिलाफ सीएए और एनपीआर पर लगातार पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान देने वाले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा को...

JDU ने प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को पार्टी से किया बाहर, पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 29 Jan 2020 04:55 PM
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जनता दल (यूनाइटेड) ने मुख्यमंत्री नितिश कुमार के खिलाफ सीएए और एनपीआर पर लगातार पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान देने वाले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा को बाहर कर दिया है। जेडीयू ने कहा है पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के बाद दोनों को बाहर करने का फैसला किया गया है।  नीतीश कुमार ने पीके और पवन को लेकर मीडिया के सवाल पर कहा था कि जिसे पार्टी की नीति रास नहीं आ रही, वे जहां जाना चाहें जाएं। गत 15 जनवरी को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसा ही बयान दे चुके हैं। वहीं, पीके ने कहा था कि नीतीश कुमार गलतबयानी कर रहे थे।

पार्टी से निकाले जाने के बाद पवन वर्मा ने मीडिया को बताया कि पार्टी की सोच अलग है और जबकि सीएम नीतीश की विचारधारा अलग है। सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर पवन वर्मा लगातार सीएम नीतीश के खिलाफ बोल रहे थे। सीएम नीतीश ने साफ कह दिया था कि जिसको पार्टी में रहना है रहे नहीं तो जाए। उसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम नीतीश बहुत जल्द कुछ बड़ा फैसला कर सकते हैं।

सीएम आवास 1, अणे मार्ग में इस बैठक से पहले प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह के बयान के भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। मीडिया से उन्होंने कहा कि महागठबंधन के समय पीके जदयू की जरूरत थे। मगर अब उनकी कोई उपयोगिता नहीं है। आज की बैठक में पीके और पवन की आवश्यकता नहीं है। पार्टी के प्रमुख नेता- आरसीपी सिंह और ललन सिंह समेत अन्य कई नेता भी इन दोनों के खिलाफ कड़े बयान दे चुके हैं। गौरतलब है कि जदयू के पदाधिकारियों, सांसद-विधायकों समेत अन्य प्रमुख नेताओं की बैठक इस वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी अहम है। 

दो माह से पार्टीलाइन के खिलाफ बोल रहे थे
ये दोनों नेता पिछले लगभग दो माह से सीएए और एनपीआर पर पार्टीलाइन के खिलाफ बोल रहे थे। वह सार्वजनिक बयान देकर जदयू नेतृत्व को लगातार कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं। एनडीए गठबंधन के लिहाज से इन मुद्दों पर दोनों नेताओं का हमलावर होना कहीं न कहीं जदयू के लिए परेशानी का सबब रहा है।

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