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कोरोना वायरस लॉकडाउन में ट्रेवल के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के साथ मुर्दा बनकर एंबुलेंस में निकला जिंदा आदमी, गैंग गिरफ्तार

भारत समेत दुनिया के तमाम देश कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे हैं। इस बीच लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अजीबो गरीब तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे संबंधित एक मामला जम्मू कश्मीर से आया है।...

कोरोना वायरस लॉकडाउन में ट्रेवल के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के साथ मुर्दा बनकर एंबुलेंस में निकला जिंदा आदमी, गैंग गिरफ्तार
Ratnakarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Wed, 01 Apr 2020 08:19 PM
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भारत समेत दुनिया के तमाम देश कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे हैं। इस बीच लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अजीबो गरीब तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे संबंधित एक मामला जम्मू कश्मीर से आया है। यहां कुछ एंबुलेंस वाले 7500 रुपये लेकर लोगों को उनके ठिकानों तक छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक गैंग गिरफ्तार हुआ है जो जिंदा आदमी को मुर्दा बताकर पहुंचाने जा रहा था।

पुलिस ने जम्मू से पुंछ जा रही एक एंबुलेंस को शक होने पर सुरनकोट की चेकपोस्ट पर रोका। इसमें ड्राइवर समेत पांच लोग सवार थे। इन लोगों ने पुलिस को सरकारी मेडिकल कॉलेज का एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाया। लेकिन जब पुलिस ने जांच की तो उसमें एक घायल व्यक्ति था। इसे मृत बताया गया था। लेकिन वह जिंदा था। पुलिस ने ड्राइवर आबिद हुसैन को तुरंत गिरफ्तार कर लिया।

मृत व्यक्ति और उसके तीनों सहयोगी सुरनकोट के सैलान गांव के रहने वाले थे, जबकि एंबुलेंस चालक आबिद हुसैन राजौरी का था। आरोपी ने एक नर्सिंग अर्दली की मदद से फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनाया था। उसने सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर की सील और नकली हस्ताक्षर भी करवाये थे।

पुंछ जिले के पुलिस प्रमुख एसएसपी रमेश कुमार अंगराल ने कहा, “एंबुलेंस अपने गंतव्य के करीब थी जब एक पुलिस दल ने चेक पोस्ट पर उसे रोका और मृत व्यक्ति को जीवित पाया। इसके बाद ड्राइवर को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और आईपीसी की धारा 188, 269, 420, 109 के तहत एफआईआर दर्ज की दई। ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया और चार अन्य को तुरंत छोड़ दिया गया।

एसएचओ सुरनकोट, अनिल शर्मा ने कहा कि एंबुलेंस वैन राजौरी में एक डॉक्टर की थी, जिसके पास तीन और एम्बुलेंस हैं। शर्मा ने कहा कि उन्हें एंबुलेंस (मारुति ईको वैन) के इनपुट मिल रहे थे, जम्मू से पुंछ तक लोगों को लाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और प्रति ट्रिप 7,500 रुपये वसूल रहे थे।

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