नए संसद भवन के उद्घाटन पर संग्राम, किसके समर्थन में हैं जम्मू-कश्मीर के नेता?
गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव असद पार्टी के प्रवक्ता फिरदौस ने कहा कि यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जैसा कि विपक्ष द्वारा इसे बनाया जा रहा है। यह विपक्षी दलों का बचकाना व्यवहार है।

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर छिड़े विवाद के बीच केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के नेताओं की प्रतिक्रिया आई है। दरअसल देश के 20 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है। विपक्षी दलों के इस फैसले की कई अन्य दलों ने आलोचना की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया है। इस बीच जम्मू कश्मीर के नेताओं ने भी पीएम मोदी का समर्थन करते हुए विपक्षी दलों को फटकार लगाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के विपक्षी दलों के आह्वान की निंदा करते हुए, जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को विपक्ष के फैसले को "बचकाना और तुच्छ" बताते हुए उद्घाटन का समर्थन किया। पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
एएनआई से बात करते हुए, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, आदिल हुसैन ने कहा कि नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है और यह विपक्ष सहित सभी के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, "नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है। यह हम सभी के लिए, विपक्ष सहित सभी भारतीयों के लिए बहुत गर्व की बात है। पिछले 70 वर्षों में, हमारे पास ऐसा नेतृत्व नहीं था। यदि आप दुनिया भर में रेटिंग देखें, तो प्रधानमंत्री मोदी की रेटिंग 78 है जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की रेटिंग केवल 43 है। विपक्ष ने चिंता व्यक्त की है लेकिन हमें नहीं लगता कि यह इतना बड़ा मुद्दा है। इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।"
इस बीच, गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव असद पार्टी (डीपीएपी) के प्रवक्ता फिरदौस ने कहा, "यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जैसा कि विपक्ष द्वारा इसे बनाया जा रहा है। यह विपक्षी दलों का बचकाना व्यवहार है। इस नए संसद भवन में एक विजन है। संसद भवन का उद्घाटन करना पीएम मोदी का एक शानदार कदम है। इसे लेकर कोई एजेंडा नहीं बनाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि उद्घाटन का "बाहें फैलाकर" स्वागत किया जाना चाहिए और कार्यक्रम का बहिष्कार करके प्रधानमंत्री का अपमान करना सही नहीं है। डीपीएपी प्रवक्ता ने कहा, "पार्टी के एक प्रवक्ता के रूप में, मेरा मानना है कि उद्घाटन का खुले हाथों से स्वागत किया जाना चाहिए। आखिरकार, वह हमारे प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री का अपमान करना सही नहीं है। हमें इस कदम का सम्मान करना चाहिए। इससे पहले राजीव गांधी सहित प्रधानमंत्रियों ने भी संसद में इमारत का उद्घाटन किया था। यह कोई नई बात नहीं है।"
श्रीनगर नगर निगम के मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने कहा, "यह बहुत मामूली मसला है। देश के लोगों को इन तुच्छ मुद्दों में कोई दिलचस्पी नहीं है। पीएम मोदी को लोकतंत्र के मंदिर का उद्घाटन करने का अधिकार है। वह लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। यह परियोजना पीएम मोदी के समर्पण और जुनून के कारण संभव हो पाई है।"
मेयर ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण है और देश की पार्टियों और अदालतों को "ऐसे मुद्दों पर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए"। "विपक्ष के पास भाजपा और सरकार के साथ कई मुद्दे हो सकते हैं लेकिन ऐसी तुच्छ चीजों पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अदालतों को ऐसे मुद्दों पर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस बात का राजनीतिकरण बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सभी को संसद भवन के उद्घाटन का जश्न मनाना चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। जम्मू कश्मीर की पूर्व सत्ताधारी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (NC) उन 21 पार्टियों में शामिल है, जिन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए भवन को राष्ट्र को समर्पित नहीं करने देने पर उनके "अपमान" का हवाला देते हुए उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने नए संसद भवन को 'कमाल' का बताते हुए इसकी तारीफ की है।