J&K: राजनीतिक संदेश नहीं दे पा रहे थे मुर्मू? जानें क्यों मनोज सिन्हा पर किया गया भरोसा
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल रहते हुए गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र की मंशा के अनुरूप राजनीतिक संदेश नहीं दे पा रहे थे। कई मामलों में इस केंद्र शासित प्रदेश की टॉप ब्यूरोक्रेसी और पूर्व ब्यूरोक्रेट उप...

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल रहते हुए गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र की मंशा के अनुरूप राजनीतिक संदेश नहीं दे पा रहे थे। कई मामलों में इस केंद्र शासित प्रदेश की टॉप ब्यूरोक्रेसी और पूर्व ब्यूरोक्रेट उप राज्यपाल मुर्मू के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। अनुच्छेद-370 समाप्त होने के एक साल बाद जिस तरह का संदेश जाना चाहिए था उसके विपरीत मुर्मू के बयान विवादों की वजह बने।
सूत्रों का कहना है कि अनुच्छेद-370 के एक साल बाद राज्य में अब राजनीतिक कवायद की भी जरूरत है। जिस तरह से कुप्रचार का एजेंडा सीमापार से चल रहा है, उसका राजनीतिक जवाब यहां की जमीन से जाना चाहिए। मनोज सिन्हा को इसी रणनीति के तहत उप राज्यपाल बनाया गया है। सूत्रों ने कहा, जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक व्यक्तित्व की जरूरत है, जिससे लोगों में भरोसा पैदा करने की राजनीतिक कवायद भी तेज हो। देर सबेर यहां के अलग-अलग समूहों से संवाद भी करना होगा।
गौरतलब है कि मुर्मू 4 जी और राज्य में चुनाव पर दिए गए बयानों की वजह से विवाद में आए थे। मुर्मू ने 370 समाप्त होने के एक साल पूरे होने के मौके पर बुधवार को अपने सभी मेल मुलाकात के कार्यक्रम रद्द कर दिए थे और वे जम्मू चले गए थे। 1985 बैच के आईएएस अफसर रहे मुर्मू गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे थे। उन्हें पीएम मोदी का भरोसेमंद माना जाता है। इसलिए सम्भव है कि उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जाए।
रेल राज्य मंत्री रहे हैं मनोज सिन्हा
वहीं, मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश से संसद के सदस्य रहे हैं। वर्ष 1989-96 के बीच में वे राष्ट्रीय परिषद के सदस्य थे। वर्ष 1996 में मनोज सिन्हा 11वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा वर्ष 1999 में उन्हें फिर से 13वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए। 1999 से 2000 के बीच वह योजना तथा वास्तुशिल्प विद्यापीठ की महापरिषद के सदस्य रहे तथा शासकीय आश्वासन समिति तथा ऊर्जा समिति के सदस्य भी रहे। वर्ष 2014 में वे 16वीं लोकसभा के लिए उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। वह रेल राज्य मंत्री रहे हैं और बाद में उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया था।