जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा, कब तक होंगे चुनाव; केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के सवाल
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष 12वें दिन की सुनवाई हुई, इस दौरान कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा कब दिया जाएगा?

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 12वें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब दिया जाएगा और चुनाव कब होंगे? केंद्र ने जवाब में कहा कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर 31 अगस्त को सरकार विस्तृत बयान देगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर को एक राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जबकि लद्दाख अभी केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 31 अगस्त को उच्चतम स्तर पर बैठक के बाद ठोस कदम सामने आ सकता है।
मेहता की दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने पूछा जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? पीठ ने कहा, "क्या कोई रोडमैप है? आपको हमें वह दिखाना होगा। आपको यह बताने के लिए हमारे सामने बयान देना होगा कि आप एक राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में कैसे बदलेंगे हैं और यह कब तक हो पाएगा क्योंकि वहां लोकतंत्र की बहाली महत्वपूर्ण है।"
मेहता ने कहा कि 2020 में जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव हुए, जो अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद पहला चुनाव था। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले और बाद में जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए मेहता ने कहा कि वहां हड़तालें और हमले होते थे, जिसके कारण बैंक और शैक्षणिक संस्थान बार-बार बंद होते थे। उन्होंने कहा, "लेकिन अब, शांति और सामान्य स्थिति है। जब राज्य का पुनर्गठन होगा, तो इसका एक खाका तैयार होगा कि सरकार कैसे काम करेगी जिससे युवाओं को मुख्यधारा में लाया जा सके।"
