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ISRO की कामयाबी: GAST-9 उपग्रह का सफल लॉन्च, भारत समेत छह पड़ोसी देशों को होगा फायदा

करीब 450 करोड़ की लागत से बने उपग्रह (जीसैट-9) को शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने लॉन्च किया। इससे उपग्रह से सार्क देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा लेकिन पाकिस्तान

Arun.kumar2लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 06 May 2017 01:45 AM

ISRO की कामयाबी: GAST-9 उपग्रह का सफल लॉन्च, भारत समेत छह पड़ोसी देशों को होगा फायदा

ISRO की कामयाबी: GAST-9 उपग्रह का सफल लॉन्च, भारत समेत छह पड़ोसी देशों को होगा फायदा1 / 3

करीब 450 करोड़ की लागत से बने उपग्रह (जीसैट-9) को शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने लॉन्च किया। इससे उपग्रह से सार्क देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा लेकिन पाकिस्तान इससे बाहर है। इसका उपग्रह को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दक्षिण एशियाई उपग्रह का सफल प्रक्षेपण ऐतिहासिक क्षण, इससे संबंधों के नए आयाम की शुरुआत होगी।

जीसैट-9 को भारत की ओर से उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के लिए उपहार माना जा रहा है। इस उपग्रह को इसरो का रॉकेट जीएसएलवी-एफ09 लेकर जाएगा। इसरो के अध्यक्ष ए.एस किरण कुमार ने गुरुवार को बताया था कि इससे आठ सार्क देशों में से सात भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव परियोजना का हिस्सा हैं। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

450 करोड़ रुपये की लागत से बना है ये उपग्रह

इस उपग्रह की लागत करीब 450 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है। इसका मिशन जीवनकाल 12 साल का है। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह बनाने के लिए कहा था वह पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार होगा।

गत रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा। मोदी ने कहा था, पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे।

भविष्य के प्रक्षेपणों के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि इसरो जीएसएलवी एमके 3 के बाद पीएसएलवी का प्रक्षेपण करेगा। उन्होंने कहा कि इसरो अगले साल की शुरुआत में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा। इससे पहले संचार उपग्रह जीएसएटी-8 का प्रक्षेपण 21 मई 2011 को फ्रेंच गुएना के कोउरो से हुआ था।

अगली स्लाइड में पढ़ें इस उपग्रह के बारे में 10 खास बातें

ISRO ने 20 उपग्रह लॉन्च कर रचा इतिहास, दुनिया में बजा भारत का डंका

GSAT-9 उपग्रह की 10 प्रमुख बातें

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जाने इस संचार उपग्रह की 10 प्रमुख बातें

1- यह संचार उपग्रह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा बाकी भारतीय पडो़सियों को संचार सुविधाएं मुहैया करागा। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'हमारा सपना है कि सार्क सेटेलाइट हमारे पड़ोसी देशों के विकास में मददगार साबित हो। इस सार्क सेटेलाइट जरिए हम अपने पडो़सियों के विकास में भागीदार बनना चाहते हैं। यह प्रोजेक्ट भारत की ओर से पड़ोसी देशों के लिए अमूल्य उपहार है।'

2- जीसैट -9 के अभियान से सभी सार्क देशों को जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन अब इस उपग्रह से नेपाल, भूटान, मालद्वीव, बांग्लादेश और श्रीलंका को संचार सेवाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। पहले इस कार्यक्रम का नाम सार्क सेटेलाइट था लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाहर हो जाने के बाद इसका नाम बदला गया।

3- जीसैट -9 को जीएसएलवी F09 से लांच किया जाएगा जो 2230 किलो वजनी उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाएगा।

4- इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में करीब 450 करोड़ रुपए की लागत आई है। पहले इस दिसंबर 2016 में लॉन्च किया जाना था लेकिन अफगानिस्तान में समझौता न हो पाने के कारण इसके लॉन्चिंग में देरी हो गई।

5- इस उपग्रह से भाभान्वित होने वाले देशों को शिक्षा, संचार, आपदा, सूचना तकनीक और प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी जुटाने में मददगार साबित होगा।

6 -शुक्रवार को चेन्नै से करीब 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोट में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे लॉन्च किया जाएगा। इसरो के जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट से इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा।

7- इसरो चेयरमैन ए.एस. किरन कुमार के अनुसार, आज यानी शुक्रवार शाम को 4:57 पर प्रक्षेपण किया जाएगा। इसकी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।

8- पाकिस्तान ने 'भारत के उपहार' से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया था कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

9- जीएसएलवी को शुरू हुए 12 साल हो चुके हैं जिसमें यह 11वां सबसे बड़ा लॉन्च है। जबकि क्रायोजेनिक इंजिन वाली चौथी बड़ा प्रक्षेपण है।

10 - इस उपग्रह की कीमत 235 करोड़ रुपये है, जबकि पूरी परियोजना पर 450 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

पीएम मोदी ने प्रक्षेपण को ऐतिहासिक बताया  

पीएम मोदी ने प्रक्षेपण को ऐतिहासिक बताया  3 / 3

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण एशिया उपग्रह के सफल प्रक्षेपण को ऐतिहासिक क्षण करार देते हुए कहा कि इसने क्षेत्र के देशों के बीच सम्पर्क विस्तार के नए आयाम खोल दिए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि इस उपग्रह से दक्षिण एशिया को काफी लाभ होगा और क्षेत्र की प्रगति सुनिश्चित की जा सकेगी। 

जीएसएलवी एफ09 के जरिये श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से दक्षिण एशिया संचार उपग्रह के प्रक्षेपण के तत्काल बाद मोदी ने ट्वीट किया, दक्षिण एशिया उपग्रह का सफल प्रक्षेपण ऐतिहासिक क्षण है। इनसे सम्पर्कों के नए आयाम खोल दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैं वैज्ञानिकों की टीम को बधाई देता हूं जिनके कठिन परिश्रम से दक्षिण एशियाई उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हो सका। हमें उन पर गर्व है। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तत्काल बाद मोदी ने प्रस्ताव किया था कि भारत ऐसा उपग्रह प्रक्षेपित करेगा जिसका आंकड़ा आठ दक्षेस देशों के साथ साझा किया जाएगा जो उनके विकास में मदद करेगा।