अंतरिक्ष में तैनात होकर रहेगा भारत का 'निगहबान', इसरो का EOS-3 मिशन फिर से होगा शेड्यूल, सरकार ने जगाई उम्मीद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज (गुरुवार) को अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने से चूक गया। सफल लॉन्चिंग के बाद अंतिम समय पर तकनीकी खराबी की वजह से इसरो का जीएसएलवी-एफ 10 / ईओएस-03 मिशन...
इस खबर को सुनें
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज (गुरुवार) को अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने से चूक गया। सफल लॉन्चिंग के बाद अंतिम समय पर तकनीकी खराबी की वजह से इसरो का जीएसएलवी-एफ 10 / ईओएस-03 मिशन पूरी तरह सम्पन्न नहीं हो पाया। मगर भारत की उम्मीदें अब भी जिंदा हैं। ईओएस-03 मिशन के फेल होने के तुरंत बाद अंतरिक्ष विभाग के प्रभारी केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि इसरो के ईओएस-03 उपग्रह मिशन को कुछ समय बाद फिर से शेड्यूल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मिशन में आई इस तकनीकी गड़बड़ी को लेकर उन्होंने इसरो चेयरपर्सन डॉ. के सिवन से लंबी बातचीत की है।
जितेंद्र सिंह ने इसरो के एक ट्वीट पर एक ट्वीट किया और कहा कि इसरो अध्यक्ष डॉ. के सिवन से बात की और विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, 'पहले दो चरण ठीक रहे, उसके बाद ही क्रायोजेनिक चरण में कठिनाई हुई। मिशन को कुछ समय बाद फिर से निर्धारित किया जा सकता है।' दरअसल, इसरो का जीएसएलवी रॉकेट द्वारा भू-अवलोकन उपग्रह यानी ईओएस-03 सैटेलाइट को स्थापित करने का मिशन रॉकेट के 'क्रायोजेनिक चरण' (कम तापमान बनाकर रखने संबंधी) में खराबी आने के कारण पूरी तरह से सम्पन्न नहीं किया जा सका। फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का यह दूसरा मिशन था।
Spoke to Chairman #ISRO, Dr K.Sivan and discussed in detail. The first two stages went off fine, only after that there was a difficulty in cryogenic upper stage ignition. The mission can be re-scheduled some time again. https://t.co/U5C0wTEHHv
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) August 12, 2021
इसरो के मुताबिक, 51.70 मीटर लंबे रॉकेट जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 ने 26 घंटे की उलटी गिनती के समाप्त होने के तुरंत बाद सुबह पांच बजकर 43 मिनट पर श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉंच पैड (प्रक्षेपण स्थल) से सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी। 'मिशन कंट्रोल सेंटर' के वैज्ञानिकों ने बताया कि उड़ान भरने से पहले, 'लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड ने योजना के अनुसार सामान्य उड़ान भरने के लिए मंजूरी दी थी। पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा। मगर कुछ मिनटों बाद हालांकि, वैज्ञानिकों को चर्चा करते देखा गया और रेंज ऑपरेशन्स निदेशक द्वारा मिशन कंट्रोल सेंटर में घोषणा की गई कि '' कुछ खराबी के कारण मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।
'मिशन कंट्रोल सेंटर' में रेंज ऑपरेशन्स निदेशक की घोषणा की, 'क्रायोजेनिक चरण में, प्रदर्शन में विसंगति देखी गई। मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।' बाद में इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने भी इस बात की पुष्टि की। इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना था।