अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019: इकलौता बेटा सेना को समर्पित किया
International Womens Day 2019: विद्यावती देवी की शादी को चार वर्ष ही बीते थे कि पति लांसनायक जितेंद्र कुमार तिवारी श्रीलंका में लिट्टे से लड़ते हुए शहीद हो गए। उस वक्त महज 23 साल की...
International Womens Day 2019: विद्यावती देवी की शादी को चार वर्ष ही बीते थे कि पति लांसनायक जितेंद्र कुमार तिवारी श्रीलंका में लिट्टे से लड़ते हुए शहीद हो गए। उस वक्त महज 23 साल की विद्यावती की गोद में दो माह का बेटा राकेश था। न तो ससुरालवाले और न ही मायके के लोग दोनों की जिम्मेदारी उठाने को तैयार थे। ऐसे में उन्होंने खुद का सहारा बनने की ठानी।
विद्यावती कहती हैं, ‘अगस्त 1989 में पति की शहादत के बाद जब अपनों ने मुंह मोड़ लिया तो तय किया कि किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी। अपने दम पर बेटे को पढ़ाऊंगी-लिखाऊंगी और सेना में भेजूंगी। यह शहीद पति को मेरी असल श्रद्धांजलि होगी। सेना ने भी इस संकल्प में मेरा साथ दिया। मुझे बीआरसी के नालंदा छात्रावास में रहने के लिए जगह मिल गई।
इसके बाद मैं आसपास के घरों में काम करने लगी। धीरे-धीरे दो वक्त की रोटी के साथ ही राकेश की पढ़ाई का खर्च निकलने लगा। 12 साल तक जिंदगी यूं ही चली। फिर दानापुर छावनी के रिकॉर्ड रूम में नौकरी लग गई।’
बकौल विद्यावती, ‘मैं अपनों की बेरुखी से पूरी तरह टूट गई थी। कंधे पर राकेश की जिम्मेदारी न होती तो शायद संभल भी नहीं पाती। लेकिन पति का सपना था कि बेटा बड़ा होकर सेना में जाए। इसलिए उसे फौजी बनाने की जद्दोजहद में जुट गई। आज वह करगिल में देश की सरहद की हिफाजत कर रहा है।’
पति चाहते थे बेटा फौजी बने। जब घरवालों ने साथ नहीं दिया तो अकेले ही उसे पढ़ाने-लिखाने और फौज में भेजने के मिशन में जुट गई। -विद्यावती देवी, शहीद जितेंद्र कुमार तिवारी की पत्नी