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इंदिरा गांधी जयंती : जिसे कहा गया गूंगी गुडि़या, उसने पाकिस्तान का नक्शा बदल दिया

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वे बखूबी समझती थीं। वह एक अजीम शख्यियत थीं। उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। इंदिरा गांधी ने...

इंदिरा गांधी जयंती : जिसे कहा गया गूंगी गुडि़या, उसने पाकिस्तान का नक्शा बदल दिया
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Mon, 19 Nov 2018 05:25 PM
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वे बखूबी समझती थीं। वह एक अजीम शख्यियत थीं। उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। इंदिरा गांधी ने परिणामों की परवाह किए बिना कई बार ऐसे साहसी फैसले लिए, जिनका पूरे देश को लाभ मिला। हालांकि उनके कुछ ऐसे निर्णय रहे जिनका उन्हें राजनीतिक खामियाजा भी भुगतना पड़ा। जनता की नब्ज समझने की उनमें विलक्षण क्षमता थी।

लिए कई सख्त फैसले
पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो इंदिरा ने उनके अनुरोध पर चुनाव लड़ा और सूचना तथा प्रसारण मंत्री बनीं। उनके समकालीन नेताओं के अनुसार बैंकों का राष्ट्रीयकरण, पूर्व रजवाड़ों के प्रिवीपर्स समाप्त करना, कांग्रेस सिंडिकेट से विरोध मोल लेना, बांग्लादेश के गठन में मदद देना और अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को राजनयिक दांव-पेंच में मात देने जैसे तमाम कदम इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व में मौजूद निडरता के परिचायक थे।

सहनी पड़ी आलोचना
आपातकाल की घोषणा, लोकनायक जयप्रकाश नारायण तथा प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डालना, ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे कुछ निर्णयों के कारण उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उड़ीसा में एक जनसभा में गांधी पर भीड़ ने पथराव किया। एक पत्थर उनकी नाक पर लगा और खून बहने लगा। इस घटना के बावजूद इंदिरा गांधी का हौसला कम नहीं हुआ। वे वापस दिल्ली आईं। नाक का उपचार करवाया और तीन चार दिन बाद वे अपनी चोटिल नाक के साथ फिर चुनाव प्रचार के लिए उड़ीसा पहुंच गईं। 

आयरन लेडी को कहते थे गूंगी गुड़िया
इंदिरा गांधी को एक समय लोग ‘गूंगी गुड़िया’ कहते थे। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इंदिरा को संसद में कई बार ‘गूंगी गुड़िया’ कहकर संबोधित किया। दरअसल, जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद इंदिरा गांधी का कॉन्फिडेंस बहुत कमजोर हो गया था। लोकसभा में अपनी परफॉरमेंस और विपक्ष के हमले के बारे में सोचकर परेशान रहती थीं। वे ज्यादातर समय लोकसभा में खामोश ही रहती थीं। उनकी इसी खामोशी के कारण उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ नाम दिया गया। मगर कुछ समय बाद समय ऐसा बदला कि भारतीय राजनीति की गूंगी गुड़िया सबकी बोलती बंद करने लगी।

पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए
इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है जिसकी टीस हमेशा उसको महसूस होती रहेगी। पाकिस्तान के लिए यह जख्म 1971 के बांग्लादेश युद्ध के रूप में था जिसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तान के सैन्य शासन ने पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों पर जुल्म की इंतहा कर दी थी। उसके नतीजे में करीब 1 करोड़ शरणार्थी भागकर भारत में चले आए थे। बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई बल्कि उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बनाया था। 

इंदिरा का आखिरी भाषण
30 अक्‍तूबर को इंदिरा गांधी ने अपना अंतिम भाषण दिया था| उन्होंने कहा था, मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं, मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।

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