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यात्री बेहाल और सरकार मालामाल; खर्च किए बगैर किराए में 900% बढ़ोतरी, रेलवे ने आपदा को अवसर में बदला

रेलवे ने कोरोना महामारी में आपदा को अवसर में बदल दिया और इसका सटीक लाभ उठाया है। यानी यात्री सुविधाओं पर एक ढेला भी खर्च न करके रेलवे ने किराया मद में पिछले साल की तुलना में 900 फीसदी से अधिक की...

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अरविंद सिंह,नई दिल्लीWed, 27 Oct 2021 06:05 AM

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रेलवे ने कोरोना महामारी में आपदा को अवसर में बदल दिया और इसका सटीक लाभ उठाया है। यानी यात्री सुविधाओं पर एक ढेला भी खर्च न करके रेलवे ने किराया मद में पिछले साल की तुलना में 900 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी का कीर्तिमान स्थापित किया है। जबकि कोरोना के नाम पर ट्रेनों में यात्री सुविधाएं जैसे खाना, पीने का पानी, कंबल, चादर, तकिया, तौलिया देना बंद कर दिया है। यह दीगर बात है कि ऑनलाइन और ट्रेनों में अतिरिक्त पैसा देकर सभी यात्री सुविधाएं मिल रही हैं।

आरक्षित में 923 तो अनारक्षित में 142 फीसदी की वृद्धि
रेल मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार, 01 अप्रैल से 10 अक्तूबर 2020 के बीच में रेल किराये (पीआरएस) से 1525.89 करोड़ रुपये की आय हुई। जबकि इस अवधि में 01 अप्रैल-10 अप्रैल 2021 में रेल किराये की आमदनी बढ़कर 15,611.61 करोड़ रुपये हो गई। यानी रेलवे की एसी और स्लीपर श्रेणी में यात्री किराया मद में 923.12 फीसदी कमाई बढ़ गई। वहीं, गैर पीआरएस (अनारक्षित श्रेणी) में 01 अप्रैल से 10 अक्तूबर 2020 में रेल किराये में 461.91 करोड़ रुपये की आय हुई। वहीं, 01 अप्रैल से 10 अक्तूबर 2021 में यात्री किराये से आमदनी बढ़कर 1119.66 करोड़ रुपये हो गई। इस श्रेणी में भी रेलवे की कमाई में 142.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

ट्रेनों को स्पेशल बनाकर रियायतें खत्म कर दीं
जानकारों का कहना है कि रेलवे ने टाइम टेबल की सभी नियमित ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन का दर्जा दे दिया है। इससे वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं सहित 55 प्रकार के रेल किराये में दी जाने वाली रियायात स्वत: समाप्त हो गई। क्योकि स्पेशल ट्रेनों में पूरा किराया देने पर ही टिकट की बुकिंग होती है। उनमें किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाती है। इसके अलावा रेलवे ने इस साल की शुरुआत में मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में 15 से 20 फीसदी किराया (लंबी दूरी) बढ़ा दिए। जबकि कम दूरी (40 किलोमीटर) की ट्रेनों में 50 फीसदी रेल किराया बढ़ाया गया है। वहीं, प्लेटफार्म टिकटों की दरें बढ़ाकर 50 रुपये प्रति यात्री कर दी गई हैं। यह तमाम उपाय कर रेलवे ने मोटी कमाई की है।

अधिक किराया देने पर भी तकिया-तौलिया नदारद
वहीं, रेल यात्री अधिक किराया देकर चादर-तकिया, तौलिया घर से लेकर चल रहा है। क्योंकि ट्रेनों में बिकने वाला कंबल 180 रुपये का है, जिसे यात्री उपयोग करने के बाद घर लेकर जा सकते हैं। वहीं ऑनलाइन कैटरिंग बुकिंग में ब्रांडेड खाना मिलने के कारण कई बार स्पीलर के किराये से अधिक यात्री खाने-पीने पर खर्च करने को विवश है। रेलवे अधिकारियों का अपना तर्क है कि रियायतें समाप्त करने का मकसद यह है कि बहुत आवश्यक होने पर ही लोग सफर करें। कोरोना के चलते रेलवे लोगों से अपील करती रही है कि यात्रा कम से कम करें। इसी कड़ी में प्लेटफार्म के टिकट की दरें बढ़ाई गई हैं।

पिछले साल ट्रेनें ठप होने से भी इस साल का प्रतिशत बढ़ा
इस साल 900 फीसदी कमाई का एक कारण यह भी है कि 2020 में दो महीने ट्रेन परिचालन ठप कर दी गई थीं और बाद में कम संख्या में ट्रेनें चलाई गईं। जबकि इस साल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

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