H-1B VISA नीति में बदलाव से भारतीय कंपनियों को लगेगा झटका
अमेरिकी वीजा नियमों में हाल में प्रस्तावित बदलाव से उच्च कौशल प्राप्त भारतीय पेशेवरों के लिए मौके बढ़ेंगे। लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों के लाभ पर नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि बदलाव के इन कंपनियों के...
अमेरिकी वीजा नियमों में हाल में प्रस्तावित बदलाव से उच्च कौशल प्राप्त भारतीय पेशेवरों के लिए मौके बढ़ेंगे। लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों के लाभ पर नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि बदलाव के इन कंपनियों के लिए मंजूर किए गए एच-1बी वीजा की तादाद में कमी आने की उम्मीद है। बता दें कि दिसंबर 2018 में, अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने एच1-बी वीजा के लिए चयन प्रक्रिया को उच्च डिग्री धारकों के पक्ष में करने के लिए बदलाव का प्रस्ताव दिया था।
घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा, इस बदलाव से नियमित आवेदकों के लिए एच-1बी वीजा की स्वीकृति में 10 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। दरअसल इस वीजा के आवेदकों में से ज्यादातर के पास अमेरिकी यूनिवर्सिटी से उच्चतर या उच्च मास्टर डिग्री नहीं होती। इक्रा के अनुसार, इस मामले में उच्चतर वेतन विधेयक के साथ देश से ही लोगों को भर्ती करने में तवज्जो देने, वस्तु आधारित सेवाओं पर मूल्यवृद्धि का दबाव, वेतन में स्फीति और राजस्व में कमतर बढ़त जैसे कारकों का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि आईटी कंपनियों के पास इन प्रभावों को रोकने के लिए अन्य कारक भी हैं।
इक्रा के उपाध्यक्ष गौरव जैन ने कहा, प्रस्तावित सुधारों के तहत यूएससीआईएस पहले 65 हजार वीजा का चयन करेगा। इसमें नियमित आवेदन करने वाले और उच्च डिग्री धारक दोनों होंगे। इसके बाद बचे हुओं में से 20,000 अत्यधिक कुशल पेशेवरों को वीजा आवंटित किया जाएगा। उन्होंने कहा, यह भारतीय आईटी सेवा सेक्टर (एच1-बी वीजा पर निर्भर नियोक्ताओं) के प्रतिकूल होगा।