रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सात नई रक्षा कंपनियों का गठन करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आगामी 15 अक्तूबर को आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन कंपनियों को राष्ट्र को सर्मपित करेंगे। ये कंपनियां मौजूदा 41 आयुध फैक्टरियों को मिलाकर बनाई गई हैं। साथ ही नई कंपनियां सौ फीसदी सरकारी होंगी, लेकिन ये कॉरपोरेट की तर्ज पर कार्य करेंगी। सरकार का मानना है कि नई कंपनियों के गठन से आयुध फैक्ट्री का परंपरागत स्वरूप खत्म हो जाएगा तथा नई कंपनियां मौजूदा जरूरतों के अनुसार पेशेवर रूप में कार्य कर सकेंगी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इसी साल जून में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट ने आर्डिनेंस फैक्ट्री के निगमीकरण का फैसला लिया था। मौजूदा 41 फैक्ट्री को उनके कामकाज के हिसाब से सात हिस्सों में वर्गीकृत कर सात नई कंपनियां बनाई गई हैं। मसलन, एक जैसे कार्य में लगी फैक्ट्री को मिलाकर एक नई कंपनी बनाई गई है।
सूत्रों के अनुसार, जो सात कॉरपोरेट रक्षा कंपनियां 15 अक्तूबर को अस्तित्व में आएंगी, उनमें एक कंपनी पूरी तरह से गोला-बारूद एवं अन्य विस्फोटक सामग्री बनाने के कार्य से जुड़ी होगी। इसे म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड का नाम दिया गया है। दूसरी कंपनी आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड वाहनों के निर्माण जैसे टैंक, लड़ाकू वाहन, सुरंगरोधी वाहन आदि बनाने का ही कार्य करेगी। तीसरी कंपनी एडवांस वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड विभिन्न किस्म के हथियारों का निर्माण करेगी। इसमें पिस्टल, रिवॉल्वर से लेकर बड़े कैलीबर के हथियारों का निर्माण शामिल होगा।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बनाया कि चौथी कंपनी ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड सैनिकों के इस्तेमाल से जुड़ी सामग्री का निर्माण करेगी। दरअसल, आज भी सैनिकों के कपड़े-जूते से लेकर तमाम सामग्री विदेश से आयात की जाती है, लेकिन नई कंपनी इन सबका देश में निर्माण करेगी। पांचवीं कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड सहायक रक्षा सामग्री का निर्माण करेगी। छठी कंपनी इंडिया आप्टेल लिमिटेड प्रकाशीय इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के निर्माण का कार्य करेगी। वहीं, सातवीं कंपनी ग्लायर्ड इंडिया लिमिटेड को पैराशूट के निर्माण का जिम्मा दिया जाएगा।
खत्म हो जाएगा आयुध फैक्ट्री का अस्तित्व
इसी के साथ करीब दो सौ साल पुरानी आयुध फैक्ट्री का अस्तित्व भी नई कंपनियों के गठन के साथ खत्म हो जाएगा। दरअसल, सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आयुध फैक्ट्री प्रतिस्पर्धात्मक भूमिका के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकी। लेकिन यह भी सच है कि पिछले दो सौ सालों के दौरान उन्होंने सशस्त्र बलों की हर प्रकार की आपात जरूरतों को पूरा किया है।
आयुध फैक्ट्री का विरोध
आयुध फैक्ट्री द्वारा इस फैसले का लगातार विरोध किया जा रहा है। हालांकि, रक्षा प्रतिष्ठानों में विरोध पर प्रतिबंध के लिए सरकार ने नया कानून बना दिया है। इसके चलते विरोध प्रदर्शन ज्यादा कारगर नहीं रहा। वैसे सरकार ने पहले ही आयुध फैक्ट्री के सभी 70 हजार कार्मिकों को आश्वस्त किया है कि उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा लेकिन उनका सांकेतिक विरोध जारी है। उन्होंने 15 अक्तूबर को डीआरडीओ भवन में होने वाले इस कार्यक्रम का भी विरोध का ऐलान किया है।