फिर आमने-सामने आए भारत और चीन के सैनिक, लद्दाख के पेंगोंग झील के पास हुआ टकराव
भारत और चीन के बीच एक बार फिर से सीमा पर टकराव की खबर आई है। लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आए हैं। भारतीय सेना के मुताबिक, लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारतीय और...
भारत और चीन के बीच एक बार फिर से सीमा पर टकराव की खबर आई है। लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आए हैं। भारतीय सेना के मुताबिक, लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारतीय और चीनी सैनिकों में पेट्रोलिंग को लेकर कल टकराव हुआ। दोनों देशों के सैनिकों के आमने-सामने आने की वजह से 'फेस ऑफ' की स्थिति बन गई। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने दी है।
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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पेंगोंग झील के उत्तरी छोर पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। हालांकि, डेलिगेशन स्तरीय वार्ता के बाद मामला शांत हो गया। दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह घटना उस वक्त हुई जब भारतीय सैनिक पट्रोलिंग पर थे। बता दें कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के फैसले से चीन बौखलाया हुआ है। लद्दाख के मामले पर चीन और भारत में तनातनी का भी माहौल है।
Indian Army: There was a face off between soldiers of Indian Army and Chinese Army near the northern bank of the Pangong lake. The face off was over after the delegation level talks between two sides there. De-escalated & disengaged fully after delegation level talks yesterday. pic.twitter.com/dZY9Mp04l2
— ANI (@ANI) September 12, 2019
गौरतलब है कि इससे पहले पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे वाले इलाके में साल 2017 को भी दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हुई थी। इतना ही नहीं, डोकलाम में भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबरें आ चुकी हैं। डोकलाम में दोनों सैनिकों के बीच काफी दिनों तक तनातनी रही थी। करीब 70 दिनों तक एक दूसरे के सामने डटे रहने के बाद दोनों देशों के सैनिक हटे थे।
दरअसल, भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटने जाने की प्रक्रिया पर चीन ने आपत्ति जताई थी। चीन ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले को 'अस्वीकार्य' बताया था। हालांकि, भारत सरकार ने चीन के विरोध का जवाब देते हुए कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत अन्य देशों के आंतरिक मामलों में टिप्पणी नहीं करता और इसी तरह की उम्मीद वह अन्य देशों से करता है।