भारत-ब्रिटेन मिलकर खोजेंगे कैंसर का सस्ता इलाज, शीर्ष संस्थानों के बीच आज होगा समझौता
कैंसर का इलाज बहुत महंगा है। मरीज को कैंसर से पहले उसका इलाज मार डालता है। इसलिए भारत और ब्रिटेन मिलकर कैंसर का किफायती इलाज तलाश करने के लिए एक बड़े शोध कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। कुछ...
कैंसर का इलाज बहुत महंगा है। मरीज को कैंसर से पहले उसका इलाज मार डालता है। इसलिए भारत और ब्रिटेन मिलकर कैंसर का किफायती इलाज तलाश करने के लिए एक बड़े शोध कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। कुछ समय पूर्व दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस मुद्दे पर सहमति हुई थी। अब बुधवार को दोनों देशों के वैज्ञानिक शोध संस्थान इस कार्यक्रम पर समझौता करने जा रहे हैं। इसके बाद इस पर अमल शुरू होगा।
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत-ब्रिटेन कैंसर अनुसंधान पहल के नाम से यह कार्यक्रम अभी पांच सालों के लिए शुरू किया जाएगा। इसमें भारत की तरफ से जैव प्रौद्यौगिकी विभाग और ब्रिटेन की तरफ से प्रतिष्ठित कैंसर रिसर्च यूके एजेंसी शामिल होगी। एमओयू भी इन्हीं दो संस्थानों के बीच होगा। दोनों संस्थान शोध के लिए 50-50 लाख पौंड की राशि प्रदान करेंगे।
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इस शोध का मुख्य मकसद कैंसर का किफायती उपचार खोजना है। ताकि उपचार हर कैंसर पीड़ित के पहुंच में हो। विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 18 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन यात्रा पर गए थे तो दोनों देशों में इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी तथा बाद में एक संयुक्त बयान जारी हुआ था।
भारत में कैंसर के आंकड़ें
- भारत में कैंसर रोगियों की संख्या 25 लाख के आसपास है।
- कैंसर के 7 लाख नए मरीज हर साल आते हैं।
- कैंसर से 71% मौतें 30 से 69 साल की आयु के बीच होती है।
- देश में मुख एवं फेंफड़ों के कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु सभी कैंसर संबंधित मौत में 50% है ।
- भारत में बच्चेदानी के मुख के कैंसर की वजह से 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु होती है।
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इलाज की संभावनाएं
- 90% से ज्यादा कैंसर मरीजों का प्रथम चरण में उपचार हो सकता है।
- 70% मरीजों का सेकंड स्टेज में भी उपचार संभव है।
- 40 फीसदी मरीजों का तीसरे चरण में इलाज संभव है।
- 10 फीसदी उपचार की संभावना रहती है चौथे चरण में
बीमारी पर खर्च
- कैंसर बीमारी का ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की अर्थव्यवस्था पर 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक बोझ पड़ा है ।
- 2012 तक तंबाकू जनित उत्पादों से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट। (ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक)
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तंबाकू बड़ा कारक
- देश में हर साल तंबाकू उत्पादों के सेवन से 10 लाख मौतें होती हैं
- हर रोज तंबाकू से संबंधित रोगों के कारण 2500 व्यक्तियों की मौत हो जाती है
- मुंह के कैंसर के मामलों में 90 फीसदी तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं।
- भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं
- 23 सितंबर 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।