INS विक्रांत के बाद दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट भी जल्द, दुनिया में 7वें हैं हम; राजनाथ ने गिनाई उपलब्धियां
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत ने अपने दूसरे एयरक्राफ्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है।
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रक्षा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत ने अपने दूसरे एयरक्राफ्ट (विमानवाहक पोत) पर काम करना भी शुरू कर दिया है। राजनाथ ने कहा कि जब भारत आजाद भी नहीं था तो सुई तक भी नहीं बनती थी। आज हमने आईएनएस विक्रांत जैसा विशाल विमानवाहक पोत बना दिया है। ऐसा करने वाले हम दुनिया में सातवें हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'एजेंडा आज तक' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हाल ही में आईएनएस विक्रांत लॉन्च करने के बाद भारत एक विमानवाहक पोत बनाने वाला दुनिया का सातवां देश बन गया है। उन्होंने कहा, "जब भारत आजाद हुआ तो देश में एक सूई भी नहीं बनती थी। हम 2022 में आईएनएस विक्रांत जैसा विशाल विमानवाहक पोत बना रहे हैं।" कुछ साल पहले किसी को विश्वास नहीं होता था कि भारत ऐसा करने में सक्षम है।
भारत से पहले कौन देश कर चुका है ऐसा
राजनाथ सिंह ने कहा, "अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और जापान के बाद भारत सातवां देश है जो विमानवाहक पोत बना सकता है। हमारे दूसरे विमानवाहक पोत का भी काम शुरू हो गया है।"
दो एयरक्रफ्ट चला रहा भारत
राजनाथ सिंह ने कहा कि आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत ने 73-74 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल कर लिया है। वर्तमान में, भारत दो विमानवाहक पोतों का संचालन करता है - रूसी निर्मित आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेश निर्मित आईएनएस विक्रांत।
पिछले हफ्ते, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था कि नौसेना देश के भीतर उपलब्ध विशेषज्ञता को भुनाने के लिए आईएनएस विक्रांत के लिए दोबारा ऑर्डर देने पर विचार कर रही है। कुमार ने कहा कि नौसेना ने अभी तक स्वदेशी विमान वाहक -2, 65,000 टन विस्थापन के साथ एक भारी पोत के निर्माण पर अपना मन नहीं बनाया है।
रिकॉर्ड स्तर पर रक्षा निर्यात
राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यवसायों से 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' की अपील की है। उन्होंने कहा कि टाटा-एयरबस ने सी-295 परिवहन विमान के निर्माण के लिए भारत में नींव रखी है, जिसे अन्य देशों को भी निर्यात किया जाएगा।
भारत का रक्षा निर्यात इस साल पहले ही 14,000 करोड़ रुपये को छू चुका है और 2023 के अंत तक 19,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने 2024-25 तक रक्षा निर्यात में 25,000 रुपये का लक्ष्य रखा है।