विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कतर यात्रा को सफल माना जा रहा है। इस यात्रा से जहां दोनो देशों के रिश्तों में मजबूती आई है। वहीं इस यात्रा से भारत की पश्चिम एशिया पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति एक बार फिर स्पष्ट रूप से सामने आई है। पिछले कुछ महीनों में कई भारतीय नेताओं ने पश्चिम एशिया के अलग-अलग देशों की यात्रा की है। भारत की इस मुहिम को निवेश व संपर्क बढ़ाने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। सॉफ्ट डिप्लोमेसी के अलावा मुस्लिम देशों से भारत के मजबूत रिश्तों के माध्यम से कुछ देशों के दुष्प्रचार का भी जवाब दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के राज्य के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने पिछले कुछ महीनों में टेलीफोन पर तीन बार बात की है। विदेशमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपने कतर के समकक्षों के साथ बात की है। मंत्रालय ने कहा, भारत और कतर के बीच मजबूत आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंध हैं।
भारत-कतर के बीच सालाना कारोबार 80 हजार करोड़ का
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, कतर में सात लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। दोनों देशों का 2019-20 में द्विपक्षीय कारोबार करीब 80 हजार करोड़ रुपये है। दोनों देशों ने कोरोना महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए भी मिलकर काम किया है। इस दौरान सामान्य उड़ानों पर पाबंदी के बावजूद अपने-अपने नागरिकों को स्वदेश लौटने के लिए उड़ानों का सहज तौर पर संचालन भी किया।
पश्चिम एशिया पर बढ़ा फोकस
पिछले चार महीनों में कोविड महामारी के बीच भारतीय नेताओं की पश्चिम एशिया की यह सातवीं उच्चस्तरीय यात्रा है। सितंबर में भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री जयशंकर दोनों ने मास्को में एससीओ बैठक में भाग लेने के दौरान तेहरान में अपना पड़ाव डाला था।
अक्तूबर में कुवैत के पूर्व अमीर शेख सबा अल अहमद अल जबेर अल सबाह के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए भारत के ऊर्जामंत्री धर्मेंद्र प्रधान की कुवैत यात्रा हुई। इसके बाद नवंबर में जयशंकर की यूएई और बहरीन यात्रा हुई। दिसंबर में भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवाणे की सऊदी अरब और यूएई और विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन की ओमान यात्रा हुई।
कुल मिलाकर, भारत द्वारा कोविड के दौरान सात पश्चिम एशियाई देशों को कवर किया गया। ईरान (दो दौरे), कुवैत, यूएई (दो दौरे), बहरीन, सऊदी अरब, ओमान और कतर के दौरे। इस वर्ष किसी भी क्षेत्र की तुलना में ये यात्राएं सबसे ज्यादा हैं।
कतर का पश्चिम एशिया में काफी अहम स्थान है। अफगानिस्तान के साथ अंतर-अफगान वार्ता और तालिबान प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी भी कतर ने की थी। सितंबर में जयशंकर दोहा में आयोजित तालिबान और अफगान सरकार के बीच वार्ता की शुरुआत में वर्चुअल तरीके से शामिल हुए थे। महामारी के दौरान भारत ने पश्चिम एशिया के साथ वर्चुअल माध्यम से भी अपना संपर्क लगातार बनाए रखा है। जयशंकर ने कई देशों के विदेशमंत्रियों से बात की है, जिसमें जीसीसी या खाड़ी सहयोग परिषद के साथ बैठक भी शामिल है।