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जैश आतंकियों की गिरफ्तारी पर भारत की निगाह, कार्रवाई दिखावा साबित न हो

पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुर रऊफ सहित 44 आतंकियों की गिरफ्तारी भारत की कूटनीतिक घेराबंदी का नतीजा है। रऊफ मसूद अजहर के बाद नंबर दो माना जाता है। जानकारों का कहना...

 जैश आतंकियों की गिरफ्तारी पर भारत की निगाह, कार्रवाई दिखावा साबित न हो
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताWed, 06 Mar 2019 12:12 PM
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पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुर रऊफ सहित 44 आतंकियों की गिरफ्तारी भारत की कूटनीतिक घेराबंदी का नतीजा है। रऊफ मसूद अजहर के बाद नंबर दो माना जाता है। जानकारों का कहना है कि भारत की कूटनीतिक घेरेबंदी से बचने के लिए पाकिस्तान ने यह कार्रवाई की है। 

दुनिया का दबाव :
इसके पहले भी कई बार पाकिस्तान दुनिया को दिखाने के लिए रस्मी कार्रवाई कर चुका है। मसूद अजहर, हाफिज सईद और जकीउर रहमान लकवी के मामले में कई बार दबाव बनने पर दुनिया के आंख में धूल झोंकने की कोशिश हुई है। जानकार मानते हैं कि इस समय भारत की पहल पर पूरी दुनिया का दबाव पाकिस्तान पर है इसलिए मजबूरी में गिरफ्तारी की जा रही है। 

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असल इम्तहान बाकी :
यह देखना होगा कि उसने जैश, लश्कर व जमात-उद-दवा के आतंकी शिविरों को बंद किया या नहीं। इनके संदिग्ध लेनदेन पर रोक लगाने और आतंकी शिविरों को नष्ट करके दोषियों को न्याय के कठघरे में खड़ा करने से पाक की कार्रवाई का असल इम्तहान होगा।

एफएटीएफ के राडार पर पाक :
कूटनीतिक सूत्रों ने कहा कि भारत पाकिस्तान के हर गतविधि पर नजर रखे हुए है। अगर कार्रवाई वास्तविक और सही इरादे से नहीं की गई तो इसकी जानकारी फायनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स को भी दी जाएगी। जहां पाकिस्तान को निगरानी सूची में रखा गया है। पाकिस्तान को एफएटीएफ की ओर से मई तक का मौका दिया गया है। अगर वह इस अवधि में आतंकी ठिकानों और उनके वित्तीय स्रोतों पर सटीक कार्रवाई नहीं कर पाता तो उसे काली सूची में डाला जा सकता है।

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मसूद पर उहापोह में पाक :
सूत्रों के हवाले यह खबर भी सामने आई है कि पाकिस्तान सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि यूएनएससी द्वारा मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकियों के सूची में शामिल करने का वह विरोध न करे। अगर पाकिस्तान सरकार ऐसा करती है तो फिर चीन की तरफ से भी मसूद के विरोध में वीटो पावर के इस्तेमाल करने का आधार खत्म हो जाएगा।  मसूद अजहर को लेकर यूएस, यूके और फ्रांस ने नया प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को लेकर चीन के पास 13 मार्च तक वीटो का इस्तेमाल करने का मौका है।

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